केरल विधानसभा में बुधवार को एक अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला। विधानसभा सत्र के शुरू होने पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अभिभाषण से पहले स्पष्टीकरण दिया गया। राज्यपाल ने कहा कि मैं जो पैरा 8 पढ़ने जा रहा हूं व्यक्ति रूप से मैं उसका समर्थन नहीं करता।
उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के कहने पर मैं इस पैरा को पढ़ रहा हू। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने खुद अपनी तरफ से मुझे पत्र लिखकर इसे पढ़ने को कहा है। यह सरकार का मत है। इसलिए उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए मैं इसे पढ़ रहा हूं। उन्होंने कहा कि मेरा अपना मत है कि यह नीति और कार्यक्रम के अंतर्गत नहीं आता है।
इसके बाद पढ़े गए अभिभाषण में गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि नागरिकता कभी भी धर्म के आधार पर नहीं हो सकती है, यह धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। यह संविधान के ढांचे के विपरीत है। इस विधानसभा में एकमत से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इस नागरिकता संशोधन कानून 2019 को खत्म करे।
#WATCH Kerala Governor in state assembly: I’m going to read this para (against CAA) because CM wants me to read this, although I hold the view this doesn’t come under policy or programme. CM has said this is the view of government, & to honor his wish I’m going to read this para. pic.twitter.com/ciCLwKac3t
— ANI (@ANI) January 29, 2020
इस मामले में हमारी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर कर रखा है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 131 का हवाला दिया गया है। उन्होंने कहा कि मजबूत केंद्र और मजबूत राज्य सरकार हमारे संघीय ढांचे का आधार है। राज्यपाल ने आगे कहा कि राज्यों की वास्तविक आशंकाओं पर केंद्र सरकार की तरफ से विचार किए जाने की आवश्यकता है। सही भावनाओं के साथ व्यापक रूप से राष्ट्रहित को देखते हुए विशेष रूप से उस समय जब बात संवैधानिक मूल्यों की हो।
इससे पहले गवर्नर के अभिभाषण शुरू होने से पहले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा के विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया। सदन में यूडीएफ के विधायकों ने गवर्नर को वापस बुलाए जाने के नारे भी लगाए। भारी शोरशराबे के बीच राज्यपाल मार्शल के सहयोग से अपनी कुर्सी तक पहुंचे।
नागरिकता संशोधन के मुद्दे पर राज्यपाल लगातार राज्य सरकार का विरोध कर रहे हैं। राज्यपाल का कहना है कि देश की संसद की तरफ से जब किसी बिल को पारित करने के बाद कानून बना दिया गया है। ऐसे में राज्य को उसका विरोध नहीं करना चाहिए।