केदारनाथ धाम आपदा के जख्म सात साल बाद भी नहीं भरे हैं। 2013 की 16-17 जून की रात को आई आपदा का जिक्र करते ही केदारनाथ घाटी के लोगों के दिल आज भी दहल जाते हैं। आज भी जब शाम को इस घाटी में बादलों की गड़गड़ाहट होती है तो लोगबाग सहम जाते हैं।
सात साल पहले केदारनाथ धाम में आई आपदा में 4500 से ज्यादा लोग की जान गई थी या वे लापता हुए थे। चार हजार से ज्यादा गांवों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया था तीर्थ यात्रियों के अलावा करीब एक हजार स्थानीय लोग केदार घाटी क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर मौत के मुंह में चले गए थे। 11000 से ज्यादा मवेशी बह गए या मलबे में दब गए थे। खेती की जमीन 14 सौ हेक्टेयर ज्यादा बाढ़ में बह गई थी। रामबाड़ा क्षेत्र का नामोनिशान मिट गया था और 25 सौ के करीब भवन मलबे में तब्दील हो गए थे।
सौ से अधिक होटल और धर्मशालाएं मटियामेट हो गई थीं। केदार घाटी में विभिन्न जगहों पर फंसे हुए 90 हजार से ज्यादा तीर्थयात्रियों को सेना ने बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था। केदार घाटी क्षेत्र में 30 हजार से ज्यादा स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया था।
केदारनाथ हादसे के 3 साल बाद तक इस घाटी में कई जगह कंकाल मिलने का सिलसिला जारी रहा। 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तब केदार घाटी के जीर्णोद्धार के लिए विस्तृत परियोजना बनाई गई। पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए और ड्रोन कैमरे से केदारघाटी के जीर्णोद्धार के लिए चल रही योजनाओं का जायजा लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य सरकार को केदारनाथ को आगामी एक सौ साल के हिसाब से विकसित करने की बात कही।
दो-तीन साल में केदार घाटी के सौंदर्यीकरण का काम जोरों पर चल रहा है। मंदाकिनी नदी पर आस्था पथ, हेलीपैड का निर्माण हुआ है जिनमें एक वीआइपी हेली पैड दूसरा मंदिर से आधा किमी पहले एमआइ 26 उड़ान के लिए बनाया गया है। इसके अलावा सरस्वती व मंदाकिनी के संगम पर घाट का निर्माण, रामबाड़ा से केदारनाथ के लिए नए रास्ते का निर्माण, केदारनाथ मंदिर परिसर का विस्तार कार्य, संगम से मंदिर मार्ग को करीब 50 फीट चौड़ा किया गया। लिनचौली नए पड़ाव के रूप में विकसित किया गया और यहां तपस्या के लिए गुफाओं का निर्माण किया गया।
पिछले साल नवनिर्मित गुफा में प्रधानमंत्रीने डेढ़ दिन साधना की थी। उसके बाद इस गुफा की बुकिंग धड़ाधड़ होने लगी और यह तब गुफा बेहद चर्चित हुई। पिछले साल केदारनाथ धाम में जहां सात लाख से ज्यादा तीर्थयात्री आए थे वहीं इस बार केदारनाथ धाम सहित चारों धामों में कोरोना संकट के कारण तीर्थयात्री न के बराबर हैं। सरस्वती नदी के किनारे पर आस्था पथ का निर्माण हुआ है और यहां तीन तक गुफाएं बनाई जानी है जिनमें से एक बन चुकी है और दो का निर्माण कार्य जारी है।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि केदारनाथ धाम को सजाने संवारने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। केदार घाटी नए निर्माण के साथ नए रंग रूप में जहां नजर आएगी वही इस धाम की पौराणिकता को सुरक्षित रखने को भी उच्च प्राथमिकता दी गई है। आॅल वेदर रोड का निर्माण कार्य तेजी पर है कुछ सालों से केदारनाथ सहित चारों धामों का सर्वांगीण विकास किया जा रहा है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखा जा रहा है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि केदारनाथ धाम का सौंदर्यीकरण प्रधानमंत्री की भावना के अनुरूप किया जा रहा है। प्रधानमंत्री इस पवित्र पावन क्षेत्र के जीर्णोद्धार में विशेष रुचि दिखा रहे हैं।
