जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िला स्थित कटरा कस्बा में प्रस्तावित रोपवे परियोजना से वैष्णो देवी के कटरा में विरोध हो रहा है। दुकानदारों और होटलवालों का भारी विरोध छह लेन एक्सप्रेसवे की सड़क को लेकर है। इन्हें लग रहा है कि माता वैष्णो देवी दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु सीधे तारकोट से ही मंदिर तक चले जाएंगे और कटरा अलग-थलग पड़ जाएगा। मोबाइल के दुकानदार राजीव राजपूत का कहना है कि दुकानदार और होटलवाले बेरोजगार हो जाएंगे।

पिछले महीने दुकानदारों ने बंद का भी आह्वान किया था

प्रस्तावित रोपवे परियोजना के खिलाफ 26 दिसंबर को पूरी तरह बंद रखा गया था। कटरा, त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित श्री माता वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का आधार शिविर है। बड़ी संख्या में दुकानदारों और अन्य हितधारकों ने भी कस्बे में रैली निकाली थी। विरोध में सभी राजनीतिक दलों का समर्थन था। हड़ताल को देखकर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड (MMVDSB) भी सोच में पड़ गया। हालांकि श्राइन बोर्ड ने परियोजना कार्य शुरू करने के पहले बैठक का भरोसा दिलाया है।

दुकानदारों ने कहा- वैष्णो देवी की वजह से ही यह गुलजार है

दुकानें और होटल बंद होने से श्रद्धालुओं को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा। ऑटो चालक रोहित मल्होत्रा बताते हैं क‍ि बंद ही हमारे पास हथियार है। श्रद्धालुओं को श्राइन बोर्ड वाले सुविधाएं कहां से मुहैया कराएंगे? दिक्कत तो होनी है। यहां अपार श्रद्धालुओं का जनसमूह हरेक रोज उमड़ता है। रात-दिन का फासला ये श्रद्धालु ही यहां पाटते है। होटल मालिक तेजस सिंह कहते हैं कि मातारानी की कृपा से कटरा और माता वैष्णो देवी जाने का रास्ता गुलजार है।

इधर, एमएमवीडीएसबी ने तारकोटे मार्ग से सांझी छत के बीच 12 किमी लंबे मार्ग पर मंदिर तक 250 करोड़ रुपए की रोपवे परियोजना को मंजूरी प्रदान की है। दुकानदारों और वहां काम कर रहे बहुत से लोगों को आशंका है कि रोपवे के निर्माण से वे बेरोजगार हो जाएंगे।

श्राइन बोर्ड ने फिर हेलीकॉप्टर सेवा बहाल करते वक्त वाला बहाना बनाया है। कहते है रोपवे बुजुर्गों, चिकित्सीय रूप से अयोग्य और शारीरिक तौर पर अक्षम लोगों की सुविधा के लिए है। यहां के लोगों के लिए श्रद्धालु ही रोजी-रोटी का साधन है। जफरुल्ला और गुलामनवी कहते है यह सब कुर्सी की लड़ाई है। इतिहास मिटाने के लिए कटरा को मिटाना है।