कश्मीर घाटी में पहली बार प्रिंटिंग प्रेस पर रेड डाली गई। शुक्रवार (15 जुलाई) को देर रात पड़ी इस रेड में मशीनों को बंद करवा दिया गया। कुछ अखबार मालिकों का दावा है कि पुलिसवालों ने उनके कर्मचारियों को भी उठा लिया था। घाटी में मोबाइल और इंटरनेट सेवा पहले से ही बंद है। इस तरीके से वहां खबरों और सूचनाओं का पहुंचना नामुमकिन सा हो गया है। हालांकि, श्रीनगर के बाहर कुछ इलाकों में टीवी प्रसारण फिर से शुरू कर दिया है। 1990 के बाद कश्मीर में ऐसा पहली बार किया गया है।
बैन के बारे में सवाल पूछे जाने पर जम्मू कश्मीर सरकार के प्रवक्ता और शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने कहा कि यह कुछ वक्त के लिए ही है। उनके मुताबिक, यह स्थिति को कंट्रोल में करने के लिए है।
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कश्मीर में अंग्रेजी के जाने माने अखबार Greater Kashmir के सीनियर एडिटर अरशद कालो ने कहा, ‘पुलिसवाले रात 1 बजे हमारी प्रिटिंग प्रेस में आए। उस वक्त हमारे लोग अखबार छाप ही रहे थे। उन्होंने सबको रोक दिया और छपे हुए पेपर जब्त कर लिए। उन्होंने चार लोगों को पकड़ लिया और फिर सुबह छोड़ा।’
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अरशद के अलावा उर्दू अखबारों के लोगों का भी पुलिस पर यही आरोप है कि उनके अखबारों को जब्त किया गया और लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। ज्यादातर न्यूजपेपर्स के संपादकों ने श्रीनगर में शनिवार शाम को एक मीटिंग की। इसमें सबने माना कि यह प्रेस पर सीधा-सीधा हमला है और वे लोग किसी भी कीमत पर इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे।
कश्मीर में यह हालात हिजबुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद बिगड़े हैं। कश्मीर के लोग उसकी मौत से खफा है और पुलिसवालों पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं। जवाब में पुलिस भी कार्रवाई कर रही है।