हिंदु परंपरा में करवा चौथ एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन नई नवेली दुल्हन से लेकर 70 साल की महिला भी खुद से साज श्रृंगार से संवारती है। इस व्रत के दिन सभी महिलाएं खुद को तरह-तरह के साज श्रृंगार से सुसज्जित करती हैं। क्योंकि यही वो दिन है जब सुहागिनों को 16 श्रृंगार करके पूजा करनी होती है, लेकिन क्या आपको पता है कि 16 श्रृंगार सही में होते क्या हैं। यहां हम आपको करवा चौथ के व्रत के दिन महिलाओं के साज-श्रृंगार के बारे में बता रहे हैं।
सिंदूर: इस श्रृंगार के माध्यम से प्रथम बार कोई पुरूष किसी स्त्री को अपनी संगिनी बनाता है।
गजराः गजरा हर क्षेत्र की महिलाएं नहीं लगाती लेकिन जहां ये आसानी से मिल जाते हैं वहां पर महिलाएं इसे जरूर पहनती है। गजरा बालों की खूबसूरतो में चार चांद लगा देता है।
मांग टीका- महिलाओं के लिए यह पति द्वारा दिए गए सिंदूर का रक्षक होता है।
बिंदिया: इसे इस तरह से लगाया जाता है कि मांगटीका का एक छोर इसे स्पर्श करे।
फिंगर रिंगः फिंगर रिंग यानी अंगूठी, जिसे महिलाएं अपने हाथों की अगुंलियों में पहनती हैं। अंगूठी में अरसी यानी सीशा लगी अंगूठी का काफी महत्व माना जाता है।
काजल: काजल अशुभ नजरों से बचाव करता है वहीं ये आपकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है। आज कल युवतियां भी इसका रोजमर्जा के जीवन में भरपूर प्रयोग करती हैं।
नोज रिंग: नाक में पहना जाने वाला यह आभूषण अपनी अपनी परंपरा व रस्मों रिवाज में छोटा-बड़ा होता है।
मंगलसूत्र: ये भी सुहाग सूचक है, जिसके बिना हर शादी अधूरी है।
इयरिंगः ईयर रिंग, जिसे महिलाएं अपने कानों को सजाती हैं।
कंगन या चूड़ी: इसके बिना हर श्रृंगार अधूरा है।
मेहंदी: श्रृंगार में नंबर 8 का स्थान ‘मेंहदी’ का है। इस दिन मेहंदी का खास महत्व होता है। त्योहार आने से 4 दिन पहले से ही महिलाएं हाथों और पैरों में मेहंदी लगवाना शुरू कर देती हैं।
बाजूबंदः कुछ इतिहासकारों ने बाजूबंद मुगलकाल की देन माना है लेकिन पौराणिक कथाओं में इसकी खूब चर्चा है। यह बड़ी उम्र में पेशियों में खिंचाव और हड्डियों में दर्द को नियंत्रित करता है।
कमरबंदः कमरबंद को तगड़ी भी कहते हैं। काम में उत्साह और शरीर में स्फूर्ति का संचार बना रहे। उत्तम स्वास्थ्य के लिए कमरबंद स्वास्थ्य कारकों से भी आवश्यक और उत्तम माना जाता है।

