मतदान के लिए पोलिंग बूथ जाने के लिए फ्री बस सर्विस को लेकर हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है। एक PIL की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि वोट देने के लिए लोगों को मुफ्त बस सेवा नहीं दी जा सकती है। कोर्ट इस जनहित याचिका का खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिका में पोलिंग बूछ पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाए जाने की मांग को भी खारिज कर दिया है।
क्या है मामला?
कर्नाटक हाईकोर्ट में ख़लील हुसैन की ओर से एक याचिका दाखिल कर मतदान के लिए फ्री बस सर्विस की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील रहमथुल्ला कोठवाल ने कोर्ट से मुख्य चुनाव आयुक्त को वोट देने के लिए फ्री बस सेवा उपलब्ध कराने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की।
मामले की सुनवाई के दौरान बेंच में शामिल जस्टिस आर देवदास और जस्टिस जे एम खाजी ने कहा कि अगर इस तरह के निर्देश राज्य सरकार या परिवहन विभाग के मुख्य अधिकारी द्वारा निकाला जाता है तब यह क़ानून में निहित स्पष्ट नियमों का उल्लंघन करेगा। निर्देश जारी करने पर सरकार चलाने वाले राजनीतिक पार्टी के खिलाफ आरोप लगाए जा सकते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त को राज्य सरकार या सार्वजनिक परिवहन निगम के प्रमुखों को ऐसे निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है।
‘चुनाव आयोग के पास नहीं है इसकी पॉवर’
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त का पक्ष जानते हुए कहा कि चुनाव आयोग मतदान के दिन फ्री बस सेवा नहीं प्रदान कर सकती क्योंकि उसके पास ऐसे निर्देश या आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है। कोर्ट ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123(5) का ज़िक्र करते हुए कहा कि संबंधित धारा कैंडिडेट, राज्य सरकार या परिवहन विभाग को ऐसे निर्देश जारी करने से रोकती है जो किसी व्यक्त प्रावधान के ख़िलाफ़ हो।
पोलिंग के लिए मतदान केंद्र बढ़ाने की मांग भी खारिज
रहमथुल्ला कोठवाल ने कोर्ट से आग्रह किया की वह उत्तर-पूर्व स्नातक विधानसभा के विधान परिषद चुनाव के दौरान वोट देने के लिए बनाये गये 160 मतदान केंद्रों को बढ़ाकर 250 करने का निर्देश जारी करें। कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि मतदान केंद्र बढ़ाने के संबंध में डिप्टी कमिश्नर से प्राप्त सूचनाओं एवं वोटरों की संख्या के अनुसार पहले से तय 160 केंद्रों को बढ़ाकर 195 कर दिया गया है।