Karnataka News: कर्नाटक सरकार इस समय अपने फैसलों को लेकर चर्चा में है। जब कर्नाटक के लोगों को निजी कंपनियों में आरक्षण का फैसला लिया गया था, तो इसका काफी विरोध हुआ था। नतीजा ये हुआ था कि सरकार ने कुछ ही घंटों में वह फैसला पलट दिया था। दूसरी ओर अब जब सिद्धारमैया सरकार आईटी कर्मचारियों के लिए 14 घंटे काम का नियम लेकर आई, तो भी उसकी कापी फजीहत हो रही है और संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस शासित सरकार ने अपने इस फैसले को भी पलटने की तैयार कर ली है।

दरअसल, कर्नाटक सरकार ने यू टर्न लेने का संकेत सिद्धारमैया के ही श्रम मंत्री संतोष लाड ने दिया है। उन्होंने कहा कि टेक सेक्टर वालों से और ज्यादा काम लेने के लिए उन पर कानून बनाने के संबंध में आईटी इंडस्ट्री का दबाव ह लेकिन वो इस मामले का मूल्यांकन कर रहे हैं। मंत्री लाड का कहना है कि सरकार अभी भी विधेयक को परख रही है।

एकतरफा नहीं लिया जा सकता कोई फैसला

बता दें कि बीजेपी सिद्धारमैया सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही है। पार्टी का कहना है कि इस मामले पर चर्चा की जरूरत है और फैसला एकतरफा नहीं दिया जा सकता है। आईटी क्षेत्र के कर्मचारी और ट्रेड यूनियनों ने पहले ही इस कदम का विरोध किया और इसे अमानवीय बताया है। विरोध के चलते सरकार इस बिल पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।

उद्योगपति बना रहे थे दबाव

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजेंद्र ने कहा है कि हमारी सीएम से अपील है कि बेंगलुरू ग्लोबल आईटी हब है। ये फैसला सभी को भरोसे में लेने के बाद ही लिया जाना चाहिए। इस मामले में मंत्री संतोष लाड का कहना था कि आईटी इंडस्ट्री के दबाव के कारण ही ये बिल हमारे पास आया है। आईटी मिनिस्टर प्रियंक खड़गे खुद प्रस्ताव को लेकर नहीं आए हैं।

कर्नाटक के मंत्री ने कहा कि अब सवाल यह है कि मैं क्या चाहता हूं तो मेरा मानना है कि सभी औद्योगिक प्रमुख इस मुद्दे पर चर्चा करें क्योंकि यह मुद्दा सार्वजनिक डोमेन में है। लोग इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि लोग अपनी राय शेयर करें और इसके आधार पर ही हम इस मुद्दे पर गौर करेंगे।

कर्नाटक सरकार के श्रम मंत्री संतोष लाड ने कहा कि उद्योगपति हम पर 14 घंटे कार्य दिवस का विधेयक पारित करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि ये बिल हमारे पास है और श्रम विभाग इसका मूल्यांकन क रहा है।