कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरू में कथित बांग्लादेशी शरणार्थियों के करीब 200 कच्चे मकान तोड़ दिए हैं। सरकार ने यह कार्रवाई बेंगलुरू के करियमन्ना अग्रहर इलाके में की। खबर के अनुसार, सरकार ने यह यह कार्रवाई 18 जनवरी को की और दावा किया कि तोड़े गए कच्चे मकान अवैध रूप से भारत आए कथित बांग्लादेशी शरणार्थियों के थे।

इतना ही नहीं सरकार ने इस जगह की बिजली और पानी की सप्लाई भी कथित तौर पर बंद कर दी है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन लोगों के मकान तोड़े गए हैं, उनमें से कुछ ने खुद के बांग्लादेशी होने से इंकार किया है।

मोहम्मद जहांगीर हुसैन नामक पीड़ित ने बताया कि “मैं त्रिपुरा का निवासी हूं। मकानों को ढहाने से पहले हमें नोटिस भी नहीं दिया गया। हम बांग्लादेशी नहीं है। हम गरीब है, इसलिए यहां रह रहे हैं। मेरे पास सभी कानूनी दस्तावेज हैं।”

बेंगलुरू के मेयर एम गौतम कुमार का कहना है कि बेंगलुरू महानगर पालिका के अधिकारियों ने इन मकानों को नहीं तोड़ा है बल्कि एक असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा इसका आदेश दिया गया। हमें नहीं पता कि ये किसने किया। फिलहाल इस मामले की कमिश्नर स्तर की जांच की जाएगी।

न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीबीएमपी ने कच्चे मकानों को ढहाने का आदेश देने वाले असिस्टेंट एग्जिक्यूटिव इंजीनियर को कार्यमुक्त कर दिया गया है। बीबीएमपी आयुक्त ने बताया कि असिस्टेंट इंजीनियर ने किसी को भी इसकी जानकारी नहीं दी और डिमॉशिन का सर्कुलर जारी कर दिया।