कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच आज (19 मई को) कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से दोहरा झटका लगा है। कांग्रेस को प्रोटेम स्पीकर के मुद्दे पर हार का सामना करना पड़ा है, इसके साथ ही मत विभाजन के मुद्दे पर भी कोर्ट ने कांग्रेस को निराश किया है। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को बहाल रखते हुए बीजेपी के केजी बोपैय्या को ही प्रोटेम स्पीकर बनाए रखने का फैसला किया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि इससे पहले भी कई बार कई विधान सभाओं में सीनियर मोस्ट एमएलए को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर बोपैय्या को प्रोटेम स्पीकर बनाने के फैसले को चुनौती दी जाती है तो नोटिस जारी करना होगा और येदुरप्पा सरकार का भी पक्ष सुनना होगा। ऐसे में आज (19 मई को) शाम चार बजे बहुमत परीक्षण नहीं हो सकेगा। लिहाजा, कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बीजेपी के बोपैय्या प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे।

कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल ने जब प्रोटेम स्पीकर द्वारा शक्ति परीक्षण के दौरान गड़बड़ी करने की आशंका जाहिर की तो कोर्ट ने मत विभाजन कराने और उसका लाइव टेलीकास्ट कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से शक्ति परीक्षण की विश्वसनीयता बरकरार रहेगी। इससे पहले कोर्ट ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि कानून गवर्नर को यह निर्देश नहीं दे सकता कि आप अमुक व्यक्ति को प्रोटेम स्पीकर बनाइए।

इस बीच कर्नाटक विधान सभा में प्रोटेम स्पीकर सभी नव निर्वाचित विधायकों को शपथ दिला रहे हैं। मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया समेत कई वरिष्ठ विधायकों ने शपथ ली है। उधर, शक्ति परीक्षण के लिए दोनों तरफ से विधायकों को अपनी-अपनी तरफ लामबंद करने की कोशिशें जारी हैं। बीजेपी के कुल 104 विधायक हैं। बहुमत के लिए 111 विधायकों की जरूरत है। बीजेपी की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उसके पास पर्याप्त संख्या बल है। फिलहाल चार विधायक विधानसभा नहीं पहुंचे हैं। इनमें से दो कांग्रेस के विधायक हैं और दो जेडीएस के विधायक हैं। आनंद सिंह और प्रताप गौड़ा कांग्रेस के विधायक हैं जो अभी तक सदन नहीं पहुंच सके हैं। पहले से इस बात की आशंका जताई जा रही है कि ये दोनों विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं।