कर्नाटक के डीजीपी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए VIP मूवमेंट के दौरान सायरन के इस्तेमाल पर बैन लगाने का निर्देश दिया है। पुलिस महानिदेशक एम. ए. सलीम ने सोमवार को पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए वीआईपी आवाजाही के दौरान सायरन के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करें।

डीजीपी ने कहा, “वीआईपी काफिले के दौरान सायरन का अनावश्यक इस्तेमाल न केवल अनधिकृत व्यक्तियों को उस मार्ग के बारे में सचेत करता है जिससे वीआईपी की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है, बल्कि आम जनता के लिए भी परेशानी पैदा करता है। सायरन ध्वनि प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और वाहन चालकों में घबराहट या भ्रम पैदा कर सकते हैं, जिससे अनियमित ड्राइविंग और यातायात बाधित हो सकता है।”

एम्बुलेंस, पुलिस वाहन और फायर ब्रिगेड को सायरन का इस्तेमाल जरूरी परिस्थितियों में ही करना चाहिए

डीजीपी सलीम ने कहा कि वीआईपी आवाजाही के प्रबंधन के लिए वायरलेस संचार प्रणालियों का उपयोग बेहतर है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आपातकालीन प्रतिक्रिया वाहनों—जैसे एम्बुलेंस, पुलिस वाहन और फायर ब्रिगेड को सायरन का इस्तेमाल सख्ती से करना चाहिए और केवल जरूरी या गंभीर परिस्थितियों में ही करना चाहिए। उन्होंने कहा, “सभी यूनिट अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपनी-अपनी टीमों को इस निर्देश से अवगत कराएँ और इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित करें।”

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कर्नाटक में वीआईपी मूवमेंट के दौरान सायरन के इस्तेमाल पर बैन

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पुलिस और चिकित्सा विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा अपनी यात्रा के दौरान सायरन का इस्तेमाल अनावश्यक ध्वनि प्रदूषण और वाहन चालकों में चिंता पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, “निर्देश यह है कि इसका इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से और ज़रूरत पड़ने पर ही किया जाए। उदाहरण के लिए, अगर सड़क पर यातायात नहीं है, तो ऐसे समय में सायरन बजाने की ज़रूरत नहीं है। इनमें से कुछ विभाग ऐसे समय में भी सायरन बजाते हैं, जिस पर अब रोक लगाने का निर्देश दिया जा रहा है।” अधिकारी ने यह भी बताया कि पुलिस विभाग शुरुआत में सायरन के विवेकपूर्ण इस्तेमाल के बारे में जागरूकता फैलाएगा और बाद में निर्देश का उल्लंघन होने पर कार्रवाई करेगा।

2013 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि सायरन और लाल बत्ती का इस्तेमाल केवल संवैधानिक पदों पर आसीन उच्च पदस्थ व्यक्ति ही ड्यूटी के दौरान कर सकते हैं, ताकि स्टेटस सिंबल के रूप में इनके दुरुपयोग पर रोक लगाई जा सके। अदालत ने निजी व्यक्तियों द्वारा सायरन के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था और इसके इस्तेमाल को आपातकालीन वाहनों जैसे एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड सर्विस और विशिष्ट कार्यों के लिए पुलिस वाहनों तक सीमित कर दिया था, साथ ही लाल बत्ती के बजाय नीली, सफेद या बहुरंगी बत्तियों की अनुमति दी थी। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स