Karnataka Politics: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों के दौरान अपने चुनावी हलफनामे में, संपत्ति को लेकर जो जानकारी दी है, वह उसके चलते ही विवादों में घिर गए हैं। इसमें उनकी पत्नी को गिफ्ट में मिली 3.16 खेती की जमीन के स्वामित्व के चलते प्रापर्टी की जानकारी में अनियमितता पाई गई। यह खेत उन्हें 14 साल पहले गिफ्ट में दी गई थी। अब यह हलफनामा और प्रॉपर्टी में कथित विसंगति के चलते ही एनडीए उन पर हमलावर है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह जमीन मुख्यमंत्री की पत्नी बी.एम. पार्वती को उपहार में दी गई थी। बता दें कि 2010 के बाद से ही सिद्धारमैया राज्य की राजनीति के केंद्र में रहे हैं। इन सबके बीच बीजेपी सिद्धारमैया के गृह जिले मैसूर में 12 जुलाई को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया है। बीजेपी और जेडीएस दोनों ने ही 50:50 वैकल्पिक साइट योजना के तहत राज्य द्वारा विकसित 14 आवासीय भूखंडों के बदले में भूमि के हस्तांतरण पर सवाल उठाए हैं।
सिद्धारमैया ने क्या दी सफाई
सिद्धारमैया ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जमीन की अदला-बदली तब हुई, जब बीजेपी सत्ता में थी और उनकी कांग्रेस सरकार ने इस योजना को रोक दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर MUDA द्वारा अधिग्रहित उनकी पत्नी की जमीन के लिए बाजार दर पर 62 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए तो वह मैसूर में प्लॉट वापस करने के लिए तैयार हैं।
इस बीच 2013, 2018 और 2023 में विधानसभा चुनावों से पहले सिद्धारमैया द्वारा दायर हलफनामों की तुलना सार्वजनिक रूप से उपलब्ध भूमि रिकॉर्ड से की गई और मैसूर के बाहरी इलाके में कसाबा होबली के केसारे गांव में सर्वेक्षण संख्या 464 के तहत, 3.16 एकड़ खेती की जमीन को लेकर विसंगति सामने आई है।
चुनावी एफिडेविट में क्या-क्या
2013 के सिद्धारमैया के चुनावी हलफनामे में उनकी पत्नी द्वारा उपहार के रूप में भूमि प्राप्त करने के तीन साल बाद भी यह नहीं बताया गया था कि उनकी पत्नी के पास यह संपत्ति हैस लेकिन केसारे गांव के भूमि अभिलेखों से पता चलता है कि 20 अक्टूबर, 2010 को बीएम मल्लिकार्जुनस्वामी ने सिद्धारमैया की पत्नी को गिफ्ट मे जमीन दी थी।
बात 2018 की करें तो सिद्धारमैया के हलफनामे में उनकी पत्नी के पास ज़मीन का मालिकाना हक होने का ज़िक्र है। सीएम की पत्नी के स्वामित्व वाली कृषि भूमि के कॉलम में लिखा है कि मेरे भाई बीएम मल्लिकार्जुनस्वामी ने 2010 में यह जमीन मिली थी, जिसकी कीमत 25 लाख आंकी गई।
इसके बाद पिछले साल के 2023 के एफिडेविट का जिक्र करें तो इसमें बताया गया है कि सिद्धारमैया की पत्नी के पास अप्रैल 2023 में गैर-कृषि भूमि वाले कॉलम में केसर गांव की जमीन के बदले में MUDA द्वारा 37,190.09 वर्ग फुट जमीन का आवंटन दिखाया गया है, जो कि विजयनगर, मैसूर में स्थित है।
62 करोड़ रुपये के मुआवजे पर बवाल
राज्य के किरायेदारी और फसलों के रिकॉर्ड में अभी भी 2023-24 की अवधि के लिए 3.16 एकड़ जमीन बीएम पार्वती सिद्धारमैया के नाम पर है। यह पूछे जाने पर कि भूमि रिकॉर्ड डेटा अभी भी सिद्धारमैया की पत्नी के नाम पर जमीन क्यों दिखाता है, सीएम के प्रेस सचिव केवी प्रभाकर ने कहा है कि इसकी जांच की जानी चाहिए। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री के उस दावे पर भी सवाल उठाया है जिसमें उन्होंने भूमि के लिए 62 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की बात कही है, जबकि 2018 के चुनावी हलफनामे में इसकी कीमत केवल 25 लाख रुपये बताई गई थी।
एक अन्य मामले में भी बैठी जांच
चुनावी हलफनामों और भूमि अभिलेखों के बीच विसंगतियों के अलावा 2004 में मुख्यमंत्री के साढू द्वारा भूमि अधिग्रहण करने के तरीके में भी गड़बड़ी के आरोप लगाए गए हैं जिसके बाद 2010 में इसे उपहार में दे दिया गया था। इस संबंध में मैसूर-बीआरडी कार्यकर्ता एस कृष्णा द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत को राज्य शहरी विकास विभाग को भेज दिया गया है, जो MUDA के साइट आवंटन की जांच कर रहा है।
जमीन के रिकॉर्ड में हेरा फैरी का मामला
शिकायतकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि सीएम और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों ने झूठे दस्तावेज बनाए और करोड़ों रुपये के भूखंडों को अवैध रूप से हासिल करके MUDA को धोखा दिया। इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि 3.16 एकड़ जमीन के लिए 2004-2005 की अवधि के रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई थी, ताकि यह पता चले कि इसे मूल रूप से सीएम की पत्नी के भाई ने एक दलित किसान से खरीदा था। हालांकि 1992 में MUDA द्वारा साइटों के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका था। कर्नाटक के सीएम के एक सहयोगी ने शिकायत को खारिज कर दिया है।