जनता के बढ़ते दबाव के आगे झुकते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आईएएस अधिकारी डीके रवि की रहस्यमय मौत के मामले में आज सीबीआई जांच कराने का फैसला किया।

मुख्यमंत्री ने इस बारे में यह कहते हुए विधानसभा में घोषणा की कि वह अधिकारी डीके रवि के माता पिता और जनता की भावनाओं का सम्मान कर मामला सीबीआई को भेज रहे हैं। सिद्धारमैया ने कहा, ‘‘मैं रवि के माता पिता की भावनाओं को समझता हूं, हम जनता की भावनाओं का सम्मान करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि सच सामने आए और दोषियों को दंड मिले।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार कभी भी मामले पर लीपापोती नहीं करना चाहती थी और न ही उसका किसी को बचाने का इरादा था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम जनशक्ति में विश्वास करते हैं। हम जनता की भावनाओं का सम्मान करने में यकीन करते हैं।’’

सिद्धारमैया इस मामले में जन आक्रोश का सामना कर रहे थे और सीबीआई जांच की मांग बढ़ती जा रही थी। बहादुर अधिकारी के रूप में प्रसिद्ध और बालू तथा भू माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने वाले तथा कर चोरी के आरोपियों पर शिकंजा कसने वाले 35 वर्षीय रवि के परिवार ने मामले में गड़बड़ी का संदेह जताया था और सीबआई जांच की मांग की थी।

विपक्षी भाजपा और जनता दल एस ने सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ आक्रामक अभियान छेड़ दिया था और साथ में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन भी हो रहे थे। पुलिस ने मामले में प्रथम दृष्टया आत्महत्या का संदेह व्यक्त किया था।

शुरू में सीबीआई जांच की मांग खारिज करने वाली सरकार ने कहा था कि सीआईडी जांच कराई जाएगी और उसने सीआईडी जांच की अंतरिम रिपोर्ट सदन में रखने की योजना बनाई थी। लेकिन इसकी योजना क्रियान्वित नहीं हो पाई क्योंकि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कल शाम रवि की ‘‘अप्राकृतिक मौत’’ के मामले में सीआईडी की अंतरिम रिपोर्ट के सरकार द्वारा किसी भी प्रकाशन पर रोक लगा दी।

रवि 16 मार्च को अपने फ्लैट के कमरे में पंखे से लटके पाए गए थे। पुलिस आयुक्त एमएन रेड्डी ने कहा था कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला लगता है जिससे जबर्दस्त विवाद खड़ा हो गया। रवि के माता पिता ने विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया और मामले में सीबीआई जांच की मांग की।

प्रदर्शनों के राज्यव्यापी होने के कारण सिद्धरमैया सरकार दबाव में आ गई और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच के लिए कहा।

विधानसभा में अपने जवाब में सिद्धरमैया ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह एक ईमानदार अधिकारी की मौत पर राजनीति कर रहा है। इस टिप्पणी का भाजपा और जनता दल एस ने विरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मौत पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। हम इसमें विश्वास नहीं करते। विपक्ष को भी यह नहीं करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कभी इस बात पर नहीं अड़ी थी कि मामला सीबीआई को नहीं सौंपा जाना चाहिए। सिद्धारमैया ने कहा, ‘‘हम अपनी पुलिस प्रणाली में यकीन करते हैं, मैंने सीबीआई के बारे में कभी कुछ अलग से नहीं कहा। यह विपक्ष था जो सीबीआई को ‘चोर बचाओ इंस्टीट्यूशन-कांग्रेस बचाओ इंस्टीट्यूशन’ कहता था, लेकिन मैंने कभी ऐसी टिप्पणी नहीं की। सीबीआई एक स्वतंत्र एजेंसी है और उसी तरह हमारी सीआईडी है।’’

सिद्धरमैया ने कहा कि वह सीआईडी की अंतरिम रिपोर्ट रखना चाहते थे, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश की वजह से ऐसा नहीं कर सके।
यह उल्लेख करते हुए कि सरकार ने कभी किसी अधिकारी पर दबाव नहीं डाला और वह उनके लिए काम का रचनात्मक माहौल उपलब्ध कराने में विश्वास करती है, सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘हम अपनी प्रणाली, न्यायपालिका और लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, हम न्यायपालिका का कभी भी निरादर नहीं करेंगे, हम कानून के शासन में यकीन करते हैं।’’

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कभी कोई ऐसा मामला नहीं रहा जब घटना के तत्काल बाद जांच सीबीआई को सौंप दी गई हो। देश में संघीय ढांचे के मद्देनजर मामले को केंद्र स्वत: सीबीआई को नहीं भेज सकता और ऐसा राज्य के आग्रह पर कर सकता है। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि उसने राज्य में अपने पांच साल के कार्यकाल में एक भी मामला केंद्रीय जांच एजेंसी को नहीं भेजा था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सीआईडी भी सक्षम है और दूसरी एजेंसी को मामला सौंपे जाने से उसका मनोबल प्रभावित होगा, इसीलिए वह कह रहे थे कि पहले सीआईडी को अपनी जांच करने देनी चाहिए। उन्होंने रवि के माता पिता को भी आश्वासन दिया था कि पोस्टमॉर्टम और सीआईडी की रिपोर्ट मिलने के बाद वह मामला सीबीआई को सौंपे जाने पर फैसला लेंगे।

सिद्धरमैया ने कहा कि रवि एक ईमानदार और सक्षम अधिकारी थे, इसीलिए उन्होंने उनके ससुर के आग्रह पर उन्हें कोलार से अतिरिक्त आयुक्त व्यावसायिक कर (प्रवर्तन) के रूप में बेंगलूरु स्थानांतरित किया था। रवि कोलार जिले के अत्यंत लोकप्रिय उपायुक्त बन गए थे, जहां उनकी छापेमारी से कई राजनीतिक हस्तियों और बालू माफिया में हड़कंप मच गया था। जनसमर्थक छवि के लिए जाने जाने वाले रवि का अक्तूबर में जब कोलार से तबादला किया गया तो लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए थे।