Kumaraswamy, B S Yediyurappa, Karnataka: बेंगलुरु के वर्तमान पुलिस कमिश्नर भास्कर राव के फोन टैप करने और उनके क्लिप्स मीडिया में प्रसारित करने के मामले की जांच से कर्नाटक में नया राजनीतिक बवंडर खड़ा हो गया है। दो हफ्ते पहले ही कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन की सरकार के विश्वासमत साबित न कर पाने के बाद प्रदेश की सत्ता पर बीजेपी काबिज हुई है।

जासूसी के आरोपों की पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान हालिया महीनों में कई राजनेताओं, अफसरों और पत्रकारों के फोन टैप किए गए। कुमारस्वामी ने इस मामले से अपने किसी कनेक्शन को सिरे से खारिज किया है।

मामले की शुरुआत बेंगलुरु शहर के पुलिस कमिश्नर पद के लिए कर्नाटक पुलिस के अफसरों के आपसी झगड़े से हुई। फोन रिकॉर्डिंग के क्लिप्स वायरल होने के बाद कांग्रेस नेता सिद्धारमैया, पूर्व गृह मंत्री एमबी पाटिल, मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व गृहमंत्री और बीजेपी नेता आर अशोक ने इस मामले की जांच की मांग की है।

सीएम बीएस येदियुरप्पा ने चीफ सेक्रेटरी से इस मामले की रिपोर्ट मांगी है। आरोप हैं कि ये फोन टैपिंग नवंबर 2018 में हुए। यह वो वक्त था जब कांग्रेस और जेडीएस की सरकार पार्टी के बागियों की वजह से खतरे में थी और बीजेपी उनकी सरकार को गिराने की तैयारी में थी।

मामला बीते हफ्ते उस वक्त सामने आया जब कमिश्नर भास्कर राव और एक शख्स की कथित बातचीत की रिकॉर्डिंग कर्नाटक के एक लोकल चैनल पर प्रसारित हुई। आरोप है कि यह शख्स कांग्रेस हाई कमांड से जुड़ा हुआ था। 1990 बैच के आईपीएस अफसर राव को 2 अगस्त को कमिश्नर नियुक्त किया गया था। इससे पहले, 26 जुलाई को येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ली थी।

लीक हुई बातचीत में राव एक कथित बिचौलिए फराज से यह कहते हुए सुनाई पड़ते है कि वह बेंगलुरु कमिश्नर पद के लिए एक कांग्रेस नेता से उनकी पैरवी करे। इस कथित बातचीत में इस बात का भी जिक्र है कि कैसे एक जूनियर अफसर सभी सीनियरों को दरकिनार कर कमिनश्नर बनने की कोशिश कर रहा है।

इस कथित बातचीत की प्रमाणिकता की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। माना जा रहा है कि यह बातचीत जून 2019 के पहले की है। उस वक्त कांग्रेस और जेडीएस की सरकार कुमारस्वामी की अगुआई में सत्ता पर काबिज थी और कुछ सीनियर पुलिस अफसर बेंगलुरु कमिश्नर के पद के लिए जोर लगा रहे थे। 17 जून को कुमानस्वामी ने 1994 बैच के आईपीएस आलोक कुमार को कमिश्नर बनाया। तुरंत ही एडीजीपी रैंक पर प्रमोट किए गए आलोक को कमिश्नर बनाने के लिए 21 वरिष्ठ एडीजीपी की अनदेखी की गई। कहा जा रहा है कि इस कदम की वजह से न केवल पुलिस, बल्कि गठबंधन में भी विवाद खड़ा हो गया।

कमिश्नर बनाए जाने से पहले कुमार बेंगलुरु के अडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम) के पद पर काबिज थे जिन्हें आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों की फोन टैपिंग करने की इजाजत देने का अधिकार था। हालांकि, बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद कुमार की जगह भास्कर राव को कमिश्नर बना दिया। दोनों अफसरों के बीच टकराव उस वक्त भी नजर आया, जब कमिश्नर के दफ्तर में चार्ज लेने के लिए राव इंतजार करते रहे, जबकि कुमार नहीं पहुंचे।

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राव के पद पर आते ही उनकी और कथित कांग्रेस बिचौलिए की बातचीत एक न्यूज चैनल के जरिए सामने आई। उधर, कुमार अपने ट्रांसफर के खिलाफ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल चले गए। राव ने फोन टैपिंग के जांच के आदेश दे दिए, जबकि आलोक कुमार ने बताया कि पुलिस ने फोन इसलिए टैप किए क्योंकि वह एक पॉन्जी स्कीम के मामले में फराज की गतिविधियों नर नजर रख रही थी।

वहीं, बेंगलुरु के जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पुलिस न केवल अपराधियों बल्कि राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के फोन भी 6 महीने से टैप कर रही थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ‘विधायकों और अफसरों के फोन की गैरकानूनी ढंग से टैपिंग हो रही थी। वर्तमान सीएम के नजदीकी लोगों और अन्य नेताओं पर भी नजर रखी जा रही थी।’