आयकर विभाग ने पहली बार यूपी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर छापेमारी की है। टैक्स चोरी के मामले में आईटी विभाग को बड़ी सफलता मिली है। यह अपने आप में पहला मामला जब इस तरह की तकनीत का इस्तेमाल छापेमारी में किया गया है। सर्राफा कारोबारियों लेकर कई रियल ईस्टेट कंपनियों पर छापेमारी की गई है। देशभर में कुल 55 स्थानों पर छापेमारी की गई जिनमें से 17 लोकेशन सिर्फ कानपुर में थी। आयकर विभाग को छापेमारी में करोड़ों रुपये की नगदी और ज्वैलरी बरामद हुई है।

कैसे किया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल?

आयकर विभाग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल ट्रांजेक्शन की ट्रेल बनाने में किया। इससे पहले ट्रांजेक्शन को लेकर मैन्युअली काम किया जाता था। इसे सॉफ्टवेयर के लिए किया गया। इससे कुछ ही मिनटों में ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी मिल गई। इससे आईटी की रडार पर आए लोगों की पूरी जानकारी मिल गई। इन सबूतों को आधार पर छापेमारी की गई।

इस सॉफ्टवेयर में किसी भी संदिग्ध ट्रांजेक्शन के आगे और पीछे की भी जानकारी निकाली जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक इनकम टैक्स के चुनिंदा अधिकारियों के पास यह भी सुविधा है कि वे पैन नंबर डालकर किए गए सभी लेन-देन को अपने कंप्यूटर की स्क्रीन पर देख सकते हैं।

क्या-क्या हुआ बरामद?

जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग ने करीब 100 घंटे कर कई ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की। इसमें 25 करोड़ रुपये नगदी और ज्वेलरी सीज की हई है। इतना की नहीं 1500 करोड़ से अधिक के फर्जी लेनदेने की भी जानकारी मिली है। इनमें से कानपुर के नयागंज स्थित बंगला बिल्डिंग की एक दुकान से 10 करोड़ रुपये कैश बरामद किया गया है। यहां आयकर विभाग ने पुरुषोत्तम राधा मोहन ज्वेलर्स के शोरूम पर छापेमारी की। इस दुकान से 18 करोड़ कैश बरामद किया गया है। इसके अलावा कई कारोबारी और बिल्डर के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई है।