कन्नड़ स्कॉलर और लेखक एम.एम कलबुर्गी की हत्या मूर्तियों पर दिए गए एक बयान को लेकर हुई थी। यह दावा हत्या के बाद गिरफ्तार किए गए दो संदिग्धों में से एक ने किया है। उसने बताया है कि लेखक को साल 2014 में दिए गए उनके एक बयान को लेकर मौत के घाटा उतारा गया। लोगों ने उस बयान को हिंदू विरोधी समझा था। बयान में कलबुर्गी ने भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित यूआर अनंतमूर्ति का हवाला देते हुए कहा था कि मूर्तियों पर पेशाब करने से आप पर कोई दैवीय कहर नहीं बरपने वाला।

आपको बता दें कि 30 अगस्त 2015 को कलबुर्गी की हत्या कर्नाटक स्थित धारवाड़ स्थित उनके घर के बाहर कर दी गई थी। वारदात को बाइक से आए दो अज्ञात हमलावरों ने अंजाम दिया था। राज्य पुलिस की सीआईडी टीम ने इस मामले में दो संदिग्धों को दबोचा था, जिनमें गणेश मिस्किन (27) और अमित बड्डी (28) शामिल हैं। ये दोनों ही एक कट्टरवादी हिंदू संगठन से जुड़े हैं, जिन्हें सीआईडी ने 15 सितंबर को गिरफ्तार किया था।

सूत्रों के मुताबिक, मिस्किन का कहना है कि कन्नड़ लेखक ने वह बयान अंधविश्वास निरोधक विधेयक पर आयोजित एक चर्चा के दौरान दिया था। उनका बयान हिंदू विरोधी माना गया। यही कारण है कि जुलाई 2014 में राज्य में हिंदुओं की भावनाएं आहत करने का आरोप लगाते हुए कलबुर्गी और अनंतमूर्ति के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। कलबुर्गी के इसी बयान पर विवाद गरमाता रहा, जिसके साल भर बाद उनकी हत्या कर दी गई।

दोनों संदिग्ध मूलरूप से हुब्बली-धारवाड़ इलाके के रहने वाले हैं, जो कि राज्य के उत्तरी भाग में पड़ता है। वे दोनों इससे पहले उन 16 लोगों में शामिल थे, जिन्हें पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक से गिरफ्तार किया गया था। वे हुब्बली इलाके में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में भी शामिल रहे, जिसका पुलिस के पास रिकॉर्ड है।

सूत्रों ने आगे बताया कि सीआईडी पूछताछ के दौरान मिस्किन ने कलबुर्गी की हत्या की साजिश के बारे में पता होने का खुलासा तो किया। मगर वारदात में शामिल होने की बात से साफ इन्कार कर दिया। दोनों संदिग्धों को सीआईडी टीम ने 15-28 सितंबर के बीच हिरासत में रखा था।

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