देश की आत्मा को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के तीन साल बाद संसद ने मंगलवार को किशोर न्याय से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दे दी। इसमें बलात्कार सहित संगीन अपराधों के मामले में कुछ शर्तों के साथ किशोर माने जाने की आयु 18 से घटा कर 16 वर्ष कर दी गई है। इसमें किशोर न्याय बोर्ड के पुनर्गठन सहित कई प्रावधान किए गए हैं।

देश में किशोर न्याय के क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव डालने वाले किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पास कर दिया। इस विधेयक पर लाए गए विपक्ष के सारे संशोधनों को सदन ने खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पास कर चुकी है। विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किए जाने के विरोध में माकपा ने सदन से वाकआउट किया।

इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि इस कानून के तहत जघन्य अपराधों में वे ही अपराध शामिल किए गए हैं जिन्हें भारतीय दंड विधान संगीन अपराध मानता है। इनमें हत्या, बलात्कार, फिरौती के लिए अपहरण, तेजाब हमला आदि अपराध शामिल हैं। उन्होंने संगीन अपराध के लिए किशोर माने जाने की उम्र 18 से 16 वर्ष करने पर कुछ सदस्यों की आपत्ति पर कहा कि अमेरिका के कई राज्यों और चीन, फ्रांस सहित कई देशों में इन अपराधों के लिए किशोर की आयु नौ से लेकर 14 साल तक है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस के आकड़ों पर भरोसा किया जाए तो भारत में 16 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अपराध का चलन तेजी से बढ़ा है।

मेनका ने किशोर न्याय बोर्ड में किशोर आरोपी की मानसिक स्थिति तय करने की लंबी प्रक्रिया के संदर्भ में कहा कि ऐसा प्रावधान इसीलिए रखा गया है ताकि किसी निर्दोष को सजा न मिले। सदन में इस विधेयक को पेश करने और इस पर चर्चा के दौरान 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के माता पिता भी दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। इस विधेयक के प्रावधान पिछली तारीख से प्रभावी नहीं होंगे। इस वजह से निर्भया मामले के नाबालिग दोषी पर विधेयक के प्रावधान लागू नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि इस नाबालिग दोषी को अदालत द्वारा रिहा कर दिया गया है।

इससे पहले विभिन्न दलों के सदस्यों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाने पर बल दिया। सदस्यों ने किशोर अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर भी चिंता जताई और बाल सुधार गृहों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार को उचित कदम उठाने को कहा। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह विधेयक पिछले सत्र में और इस सत्र में भी कई दिन चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन सदन में हंगामे की वजह से इस पर चर्चा नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि ऐसी बात की जा रही है कि सरकार इस विधेयक को लाने की इच्छुक नहीं थी। उन्होंने हालांकि कहा कि यह विधेयक पिछली तारीख से प्रभावी नहीं होगा।

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने नायडू पर निशाना साधा और कहा कि जब सदन सुचारू रूप से चल रहा है तो पंगा नहीं लेना चाहिए। सबसे पहले 1986 में राजीव गांधी सरकार द्वारा किशोर न्याय संबंधी विधेयक लाया गया था जिसमें उम्र की सीमा 16 साल ही रखी गई थी लेकिन वर्ष 2000 में तत्कालीन राजग सरकार ने इसे बढ़ा कर 18 साल कर दिया। उन्होंने कहा कि उम्र को लेकर पूरी दुनिया में अलग अलग राय है और इस संबंध में विभिन्न देशों के अपने कानून हैं। लेकिन हमें भारत में अपने समाज के हिसाब से देखना है।

मनोनीत अनु आगा ने ऐसे अपराधों के मामले में उम्र सीमा 18 साल से घटा कर 16 करने का विरोध किया और कहा कि ऐसे मामलों में सुधार पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने का सुझाव दिया। जद (एकी) की कहकशां परवीन ने कहा कि हमें इस पर गौर करना चाहिए कि बच्चे अपराधी क्यों बन रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह एक भावनात्मक मुद्दा है और उन्हें यह समझ में नहीं आता कि अगर ऐसी घटना उनके साथ होती तो वह क्या करते।

शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि समाज में कहा जाता है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। किन्तु निर्भया के मामले में कानून के हाथ छोटे पड़ गए। चर्चा में अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन, कांग्रेस के आनंद शर्मा और रेणुका चौधरी, आरपीआइ के रामदास अठावले, शिअद के नरेश गुजराल, निर्दलीय एपी स्वामी ने भी भाग लिया।

उम्र घटाने का विरोध भी:

मनोनीत सदस्य अनु आगा ने ऐसे अपराधों के मामले में उम्र सीमा 18 साल से घटा कर 16 करने का विरोध किया और कहा कि ऐसे मामलों में सुधार पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने का सुझाव दिया।

विधेयक में किशोर न्याय बोर्ड के पुनर्गठन सहित कई प्रावधान।

* चर्चा के दौरान निर्भया के माता-पिता भी दर्शक दीर्घा में मौजूद।
* विधेयक के प्रावधान पिछली तारीख से प्रभावी नहीं होंगे।
* निर्भया मामले के नाबालिग दोषी पर भी लागू नहीं होंगे ये प्रावधान।