मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस स्वामीनाथन एक साठ साल की बीमार हथिनी को देखने पहुंचे। वो उसकी हालत देखकर इस कदर भावुक हुए कि उन्होंने अपने ही उस फैसले को पलट दिया जिसमें ललिथा की कस्टडी उसका मौजूदा मालिक को दी गई थी। जस्टिस स्वामीनाथन ने तमिलनाडु सरकार के एनिमल हसबेंड्री महकमे को कहा कि ललिथा का तुरंत इलाज कराया जाए। फिर उसे रिहैब सेंटर भेजा जाए।
कोर्ट एक एक्टिविस्ट की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने मांग की थी कि ललिथा की हालत पर कोर्ट तुरंत संज्ञान ले। जस्टिस ने फैसला किया कि वो खुद जाकर हथिनी को देखेंगे। 2020 में हाईकोर्ट ने ललिथा की कस्टडी को तय किया था।
अपने एक फैसले में हथिनी ललिथा को कोर्ट ने उसके असली मालिक को सौंपा था। कोर्ट ने चाइल्ड राइट एक्ट पर अमल करते हुए ललिथा की कस्टडी उसके सबसे पहले मालिक को दी थी। कोर्ट का कहना था कि वो उसकी सही देखभाल करेगा, क्योंकि वो बचपन से उसके साथ है। लेकिन जस्टिस ने जब हथिनी की हालत खुद जाकर देखी तो वो खासे परेशान हुए। हथिनी जख्मी थी और उसकी सेहत भी ठीक नहीं थी। जस्टिस का कहना था कि अदालत को पूरा भरोसा हो गया है कि जिस शख्स के पास ललिथा है वो उसकी देखभाल करने में नाकाम रहा है। अब वो ललिथा पर अपना हक खो चुका है। पहले मालिक के हवाले हथिनी को देने का फैसला कोर्ट ने तब किया था जब वो बिक चुकी थी। उसे किसी और ने खरीद लिया था।