मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन मानते हैं कि भारतीय संविधान और कानून में वाल्मीकि रामायण की छाप दिखाई देती है। संविधान का Article 72 और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) का Section 432 का जिक्र प्राचीन काल के ग्रंथ में किया गया है। Article 72 में भारत के राष्ट्रपति किसी को क्षमादान देते हैं तो Section 432 के तहत दोषियों की सजा को माफ किया जाता है।
जस्टिस स्वामीनाथन ने राजीव गांधी हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि सभी छह आरोपियों को पहले मौत की सजा सुनाई गई। फिर उस सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया। उसके बाद उन्हें जेल से बाहर भी जाने दिया गया। राजीव गांधी का एक हत्यारा उन्हें एक सार्वजनिक मंच पर दिखाई दिया। वो काफी विचलित हो गए। उनके सरीखे और लोग भी थे। जस्टिस स्वामीनाथन का कहना था कि उसके बाद उन्हें वाल्मीकि रामायण में मां जानकी और भगवान हनुमान के बीच हुए संवाद की याद आई।
मांग जानकी हनुमान जी से कहती हैं कि कोई भी मनुष्य गलतियों से ऊपर नहीं है। हमें बदला लेने की भावना का त्याग कर क्षमा को अपनाना चाहिए। जस्टिस स्वामीनाथन का कहना था कि इस संवाद को याद करने और पढ़ने के बाद उन्हें लगा कि राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने में कोई गलती नहीं है। आखिर वाल्मीकि रामायण इसी बात को तो इंगित करती है। उनका कहना था कि संविधान भी रामायण को आत्मसात करता है।
जस्टिस स्वामीनाथन अधिवक्ता परिषद की 16वीं राष्ट्रीय बैठक में बोल रहे थे। इसका आयोजन हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किया गया था। उन्होंने इस मौके पर कुछ और वाकयों को भी याद करके भारतीय कानून और संविधान की व्याख्या की। उनका कहना था कि कुल मिलाकर हमें समझना चाहिए कि गलती किसी से भी हो सकती है। हमारा काम उसके सुधार का होना चाहिए न कि बदले की भावना का।
उन्होंने 1994 के एक वाकये को भी याद किया, जिसमें कुछ आतंकियों एक मस्जिद पर कब्जा कर लिया था। उसे उड़ाने की धमकी भी दी। बाद में वो सुरक्षा बलों के सामने झुके तो एक कोर्ट ने उनको बिरयानी खिलाने का आदेश दिया। कोर्ट का नाम स्वामीनाथन याद नहीं कर सके।