यहां हालात बहुत खराब हैं। हर तरफ बम और सायरन की आवाज है। खाने के लिए ब्रेड और बिस्कुट एक बार ही मिल रहा है। मेस में वो भी खत्म है। पापा, तीन रात चार दिन हो गए, कोई मदद नहीं मिल रही। अब ये फोन भी बंद करने को कह रहे हैं। ये बातें सहमी आवाज में ईशा ने फोन पर अपने पापा संदीप दत्ता से कही।

ईशा ने यह भी बताया कि उसका फोन 15 घंटे से बंद है। ‘लोकेशन ट्रेस’ न हो इसलिए सभी के फोन एरोप्लेन मोड पर हैं। ईशा का परिवार नोएडा के सेक्टर-137 में रहता है। ईशा के दोस्त के फोन से 15 घंटों में सिर्फ एक एसएमएस आया है। इसमेंं लिखा है कि सब ठीक है, आप परेशान मत हो। ईशा यूक्रेन के सबसे प्रभावित क्षेत्र व दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में बने एक बंकर में है। बताया जा रहा है कि रूस की सेना यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में दाखिल हो गई है।

ईशा नेशनल यूनिवर्सिटी खारकीव में एमबीबीएस की प्रथम वर्ष की छात्रा है। दिसंबर में वह यूक्रेन गई थी। सीमा क्षेत्र होने से खारकीव काफी संवेदनशील है। संदीप दत्ता ने बताया कि अभी पता चला कि रूसी सेना के हमले में गैस पाइपलाइन तक फट चुकी है। इसी गैस के जरिए बंकर में सभी लोग अपने को गर्म रखने की कोशिश करते है। दत्ता के मुताबिक बढ़ते तनाव के चलते उसे वापस बुलाने के लिए 27 फरवरी का टिकट किया गया था। जिसे बढ़ाकर 28 फरवरी कर दिया गया। ईशा के साथ उसके तीन और सहपाठी हैं। वे सभी बंकर में हैं। ईशा के साथ करीब 180 और भारतीय छात्र वहां फंसे हुए हैं।