TV Debate on Varansi Gyanvaapi: वाराणसी की ज्ञानवापी को लेकर चर्चा खत्म होने का नाम ही नही ले रही है दिल्ली के जामिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जुनैद ने एक निजी टीवी डिबेट शो के दौरान एक बार फिर बौद्ध विहार और स्तूपों की बात छेड़ दी इस यूएचएफ चीफ ने उन्हें जवाब देते हुए कहा- जब मंदिरों की बात की जा रही है तो आप बौद्ध विहार क्यों चले जाते हैं। प्रोफेसर जुनैद ने कहा, ये जो डिस्कसन का मौजूं है ये इतिहासकार करें ऑर्किटेक्ट करें तो बात समझ में आती है लेकिन पब्लिक में कोई ओपीनियन बनाने के लिए अगर राजनीतिक तौर पर किया जाए तो बड़ी अजीब बात होती है।
प्रोफेसर जुनैद ने आगे कहा, ‘मैं ये सवाल इसलिए कर रहा हूं कि जब हमारा मुल्क आजाद हो गया, हमारा संविधान बन गया 1991 का हमारे पास एक्ट आ गया तो अब उस तरह के मुद्दों को उठाने का मतलब ये है कि अब हम क्या कह रहे हैं? हम कहां तक जाएंगे? क्या बौद्ध विहारों के लिए भी आपकी वही नीति रहेगी? हमारे साथ प्रोफेसर कपिल थे जो खुद कह रहे थे कि स्तूपात तोड़े गए और बौद्ध विहार तोड़े गए।’
जब बौद्ध की प्रतिमाएं तोड़ी गईं तब आप नहीं बोले
इतने में ही यूएचएफ के अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने उनकी बात बीच में ही काटते हुए कहा, जब-जब मंदिरों की बात आती है आप बौद्ध बिहार चले जाते हो जो मुद्दा है आप उसपर बात करो बुद्ध बिहार की बात मत करो बुद्ध भी हमारे हैं। उन्होंने कहा कि जब बुद्ध भगवान की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं अफगानिस्तान में तोड़ी गईं थीं तब आप उसपर क्यों नहीं बोले अगर भाईचारा बढ़ाना है तो जो हमारे मंदिर हैं उन्हें छोड़ो बात खत्म।
ये मामले अब क्यों उठाए जा रहे हैं?
प्रोफेसर जुनैद ने कहा, बुद्ध आपके हैं बुद्ध हमारे नहीं हैं। इस पर प्रोफेसर जुनैद ने कहा, संविधान के तहत भाईचारा होता है किसी के ऊपर अत्याचार के तहत नहीं। जिस मुद्दे को शिवाजी ने नहीं उठाया था 1735 में वहां काशी विश्वनाथ मंदिर बना वो हिन्दू नहीं थे शिवाजी हिन्दू नहीं थे। इस मुद्दे को इसके पहले क्यों नहीं उठाया गया?
आप संविधान पर कहां भरोसा करते हैं?
इस पर जय भगवान गोयल ने जवाब देते हुए कहा आप कहां मानते हैं संविधान, कहां गया था शाह बानो में संविधान, कहां गया था सीएए पर संविधान, आज समान आचार संहिता की बात कर रहे हैं खुले आम विरोध कर रहे हैं आप। जो तुम्हारे अनुकूल है वो संविधान और जो तुम्हारे अनुकूल नहीं है वो संविधान नहीं है।