Jharkhand Elections Mandal Murmu: झारखंड में चल रहे चुनाव प्रचार के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जबरदस्त झटका लगा है। सोरेन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। झारखंड में 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है जबकि 23 नवंबर को वोटों की गिनती होगी।

झारखंड में बीजेपी ने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के साथ गठबंधन किया है और अपने सहयोगी दलों जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को भी हिस्सेदारी दी है। दूसरी ओर, झामुमो अपने सहयोगी दलों- कांग्रेस, आरजेडी और वाम दलों के साथ चुनाव लड़ रही है और फिर से सरकार बनाने का दावा कर रही है।

झारखंड में बीजेपी की नजर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 28 विधानसभा सीटों पर है। बीजेपी संथाल परगना के इलाके में ‘घुसपैठ’ और ‘डेमोग्राफिक चेंज’ को मुद्दा बनाया है जबकि झामुमो और कांग्रेस ने सरना कार्ड खेला है। झारखंड में आदिवासी मतदाताओं की आबादी 26% है। बीजेपी ने झारखंड चुनाव के लिए ‘रोटी बेटी माटी की पुकार, झारखंड में भाजपा सरकार’ नारा दिया है।

झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं।

झारखंड में पिछले दो चुनावों के नतीजे

साल बीजेपी झामुमोकांग्रेसझाविमो (प्रजातांत्रिक)आजसू
2014 विधानसभा चुनाव 3719685
2019 विधानसभा चुनाव 25301632

संकल्प पत्र में बीजेपी ने किए बड़े वादे 

बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में लोक लुभावने वादों की भरमार की है। बीजेपी ने झारखंड बनने के 25 साल पूरे होने पर 25 संकल्प लिए हैं। इन संकल्पों में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण को बरकरार रखे जाने, हर जिला मुख्यालय को राजधानी रांची से जोड़ने के साथ ही वृद्ध, विधवा और दिव्यांगों के लिए ढाई हजार रुपए तक की मासिक पेंशन लागू करने जैसे कई बड़े वादे पार्टी की ओर से किए गए हैं।

2024 में कौन कितनी लोकसभा सीटों पर जीता

राजनीतिक दलमिली सीटें
बीजेपी 8
कांग्रेस 2
झामुमो3
आजसू1

कौन कितनी विधानसभा सीटों पर रहा आगे (कुल सीटें- 81)

बीजेपी46
कांग्रेस 15
आजसू3
झामुमो14
निर्दलीय 2
बीएसपी1

आरक्षित सीटों पर बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती

बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती आदिवासी सीटों पर अपने प्रदर्शन को सुधारने की है। झारखंड में अनुसूचित जनजाति के लिए लोकसभा की पांच सीटें आरक्षित हैं और इन सभी सीटों पर बीजेपी को इस बार चुनाव में हार मिली है।

झारखंड में आदिवासियों के लिए आरक्षित 28 विधानसभा सीटों में से 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ दो सीटें जीती थी और यही वजह थी कि पार्टी बहुमत से काफी दूर रह गई थी जबकि झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने 25 सीटें जीती थी। पिछले चुनाव में बीजेपी अकेले उतरी थी जबकि इस चुनाव में उसने अपने पुराने सहयोगियों ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के साथ ही जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के साथ गठबंधन किया है।

हेमंत सोरेन ने अपने कार्यकाल में सरना कोड प्रस्ताव और झारखंड डोमिसाइल बिल को पास करके बड़ा कार्ड खेला है और इसे केंद्र के पाले में फेंक दिया है। सोरेन और झामुमो ने बीजेपी को बाहरी और आदिवासियों को राज्य का मूल निवासी (भीतरी) बताया है।

इंडिया गठबंधन की जीत के लिए जोर लगा रहे सोरेन

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले कई बड़ी योजनाओं की घोषणा की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री मंईया सम्मान योजना लॉन्च की थी और ऐलान किया था कि राज्य में फिर से इंडिया गठबंधन की सरकार बनने के बाद हर परिवार को 1 लाख रुपये सालाना दिए जाएंगे।

मंईया सम्मान योजना के तहत सोरेन ने गठबंधन सरकार की ओर से झारखंड में 21 से 50 साल की महिलाओं के लिए सालाना 12,000 रुपए दिए जाने की घोषणा की है। सोरेन सरकार ने झारखंड में 48 लाख महिलाओं को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। हर महीने की 15 तारीख को महिलाओं के बैंक खाते में मंईया सम्मान योजना की राशि के रूप में एक हजार रुपए भेजे जाएंगे।

इसके अलावा किसानों की कर्ज माफी की सीमा को 50 हजार से बढ़ाकर 2 लाख रुपए करने का ऐलान भी सोरेन ने किया था।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य में इंडिया गठबंधन की वापसी के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। लेकिन पहले चंपई सोरेन और अब मंडल मुर्मू के उनका साथ छोड़कर जाने से निश्चित रूप से उन्हें राजनीतिक नुकसान हो सकता है।