कथावाचक, गुरु और भगवान से शैतान बने आसाराम को जोधपुर की अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी करार दिया है। आसाराम जोधपुर की जेल में पिछले चार साल, सात महीने और 24 दिन से बंद है। लेकिन आसाराम के अत्याचारों को झेलने वाली वो मासूम बेटी आज भी असुरक्षा की भावना से जी रही है। यूपी के शाहजहांपुर में पीड़िता के घर पर पुलिस की टीम पहरा दे रही है। वहीं, जोधपुर में जहां लड़की का परिवार ठहरा है, उसके आसपास के इलाके में भी भारी सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वह लड़की अब कभी खुली हवा में सांस ले सकेगी। स्वयंभू संत आसाराम जेल में सुरक्षित और मनमाफिक तरीके से जिंदगी बिता रहा है। बताया गया कि 25 अप्रैल, यानी जिस दिन अदालत अपना फैसला सुनाने वाली थी, वह उस दिन भी सही समय पर कोर्ट नहीं पहुंचा। बताया गया कि अपनी सेल में आसाराम देर तक पूजा-पाठ में लगा रहा। तय वक्त से आसाराम करीब 15 मिनट देर से कोर्ट पहुंचा। अदालत और जेल प्रशासन के सामने अपनी मनमर्जी करने वाला आसाराम जेल में शाही जिंदगी जीता रहा है। जेल के पास ही उसके भक्तों का बड़ा हुजूम था, जो उसे जेल से आजाद देखना चाहता था। लेकिन अब ये सपना अदालत के फैसले के बाद चकनाचूर हो गया है।
कहा जा रहा है कि आसाराम ने खुद को बेनुगाह साबित करने के लिए हर पैंतरा आजमा लिया था। आसाराम खुद पर से पॉक्सो हटवाना चाहता था। पॉक्सो के कारण ही उसे जमानत नहीं दी जा रही थी। राम जेठमलानी जैसे बड़े वकीलों की पैरवी भी आसाराम को जमानत नहीं दिलवा पाई। पीड़िता लड़की को बालिग साबित करने के लिए आसाराम के समर्थकों ने लड़की का कथित सर्टिफिकेट हासिल करने की कोशिश भी की थी। दरअसल, 20 सितंबर 2013, दिन शुक्रवार को आसाराम के चार समर्थकों ने शाहजहांपुर में पीड़ित छात्रा के पूर्व स्कूल संचालक को धमकाया और उन पर छात्रा की फर्जी टीसी जारी करने का दबाव बनाया। जब संचालक ने इससे इनकार किया तो समर्थकों ने उनसे अभद्रता और मारपीट की। स्कूल संचालक ने पुलिस को सूचना दी थी। बाद में पुलिस ने चारों समर्थकों के खिलाफ मामला भी कायम किया था।
आसाराम ने जमानत हासिल करने के लिए अपने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट भी बनवाए थे। ये सर्टिफिकेट उसने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए थे। मामला 31 जनवरी 2017 का है, जब तत्कालीन चीफ जस्टिस जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। जांच में मेडिकल सर्टिफिकेट फर्जी साबित हो गए। इस मामले पर चीफ जस्टिस ने कड़ा रुख अपनाते हुए आसाराम पर नई एफआईआर करने और एक लाख रुपए का जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया था।