Indian Council of Agricultural Research (ICAR): भारत सरकार की सबसे महत्वपूर्ण संस्थानों में से एक Indian Council of Agricultural Research के साथ डेटी ब्रीच की घटना हुई है, बताया जा रहा है कि काफी सारी सीक्रेट इनफॉर्मेशन चोरी हो गई है। नौकरी का डेटा गायब हुआ है और कई रिसर्च पेपर भी अब संस्थान एक्सेस नहीं कर पा रही है।

पूरा मामला क्या है?

जनसत्ता के सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक साल की शुरुआत में ही इतना बड़ा डेटा ब्रीच हुआ था, उस समय यह खबर ज्यादा लाइमलाइट में नहीं आई, लेकिन अब मामले की गंभीरता को देखते हुए 6 सदस्यों की एक जांच कमेटी बना दी गई है। वो कमेटी ना सिर्फ कई सारे सुझाव देगी बल्कि इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि भविष्य में ऐसी कोई घटना ना हो।

कहां-कहां नुकसान हुआ?

बड़ी बात यह है कि इस कमेटी को अपनी रिपोर्ट 31 जुलाई तक देनी है, लेकिन अभी तक एक भी मीटिंग नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि डेटा ब्रीच इस साल अप्रैल में हुआ था, असर दिल्ली वाले सर्वर और हैदराबाद के National Academy of Agricultural Research Management (NAARM) पर देखने को मिला था। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि कौन-कौन सा डेटा चोरी हुई है।

खबर है कि इस ब्रीच की वजह से नौकरी से जुड़ा डेटा गायब हो चुका है। कई वैज्ञानिकों ने जो रिसर्च की थीं, उन्हें ऑनलाइन सेव किया गया था, वो भी मिसिंग है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए इस बारे में एक सीनियर सांइटिस्ट ने कहा कि सिर्फ ऐसा नहीं है कि हमारा इमेल कम्युनिकेशन काम नहीं कर रहा था। दिक्कत तो ये थी कि नौकरी से जुड़ा, फाइनेंस से जुड़ा, रिसर्च प्रोजेक्ट से जुड़ा डेटा गायब हो गया।

धनखड़ के साथ काम कर रहे अफसरों का क्या हुआ

अधिकारियों ने क्या बताया?

इस डेटा ब्रीच को लेकर जब Department of Agricultural Research and Education के सेकरेट्री एमएल जट से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले वेबसाइट हैक हुई थी। लेकिन अब सबकुछ नॉर्मल हो चुका है। मंत्रालय की तरफ से कमेटी बना दी गई है। वहीं इसी बारे में Council’s Knowledge Management के विभाग का भी बयान सामने आया है। उनका कहना है कि icar.org.in वाली वेबसाइट तो मई के बीच में ही ठीक हो गई थी, लेकिन दूसरी वेबसाइट icar.gov.in अभी भी काम नहीं कर पा रही है।

सूत्रों से ही पता चला है कि ICAR Society की जो एनुअल जनरल मीटिंग हुई थी, उसमें डेटा ब्रीच का मुद्दा उठाया गया था, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद उसमें शामिल हुए थे। उनकी तरफ से ही 6 सदस्यों की कमेटी बनाने का निर्देश भी दिया गया था।

श्यामलाल यादव की रिपोर्ट

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