JNU violence: राजधानी दिल्ली में रविवार की रात करीब तीन घंटे तक जेएनयू कैंपस में नकाबपोश लोगों के बवाल के बाद नार्थ गेट पर भारी संख्या में पुलिस बल पहुंच गया। इस दौरान दर्जनों लोग अपने चेहरे को मफलर से छिपाकर नारेबाजी करने लगे। वे बोल रहे थे “देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को”, “नक्सलवाद मुर्दाबाद” और “ना माओवाद, न नक्सलवाद, सबसे ऊपर राष्ट्रवाद।” टायरों को पंक्चर कर और शीशों को तोड़कर एंबुलेंस को भी कैंपस में नहीं जाने दिए। यह सब वे पुलिस बैरिकेड और पुलिस वैन के सामने किए। इस दौरान कई लोग “पुलिस जिंदाबाद” के नारे भी लगा रहे थे। मौक पर रात करीब 10.45 बजे सीपीएम नेता डी. राजा भी नार्थ गेट पर आए थे। विरोध करने वालों ने उनको घेर लिया। कुछ ने उन्हें कथित रूप से अपशब्द भी बोले और उन्हें वापस जाने के लिए कहा। राजा ने कहा, “यह फासीवाद है। दिल्ली पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है … यह केंद्रीय मंत्रालय के अधीन है और अमित शाह से इस बारे में पूछताछ की जानी चाहिए।”
मीडिया को भी रोका, स्ट्रीट लाइटें बुझाईं : प्रदर्शनकारियों ने मीडिया वालों को फोटो लेने और पास में जाने से भी रोका और कथित रूप से स्वराज इंडिया के मुखिया योगेंद्र यादव से हाथापाई भी की। ये सारी घटनाएं 250 से ज्यादा मूकदर्शक बने पुलिस वालों के सामने बिना हस्तक्षेप के होती रही। गेट पर मौजूद कई लोगों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे एबीवीपी (आरएसएस की विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़े हैं, लेकिन वे अपना नाम नहीं बताए। नारेबाजी के दौरान कई बार एबीवीपी और वामपंथी गुट के बीच हाथापाई भी होती रही। हिंसा अंधेरे में हुई। गेट के सामने की सभी स्ट्रीट लाइटें बुझा दी गई थीं।
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शिक्षकों का आरोप -वीसी की मिलीभगत से हुई घटना : जिन लोगों पर हमला हुआ उनमें योगेंद्र यादव भी थे। उन्होंने बताया, “मैं जेएनयू के शिक्षकों से कैंपस में जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में बात कर रहा था। इस दौरान पुलिस ने मुझे यह कहते हुए घसीटना शुरू कर दिया कि आप तनाव पैदा कर रहे हैं। इसके बाद वहां मौजूद गुंडों ने मुझ पर हमला शुरू कर दिया, जिससे मैं नीचे गिर गया। अब पुलिस मुझे यहां से जाने की बात कह रही है, उनके पास इन गुंडों को हटाने की हिम्मत नहीं है।” जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन के सचिव सुरजीत मजूमदार ने कहा, “शिक्षकों पर आज हमला किया गया और हम जेएनयू के कुलपति और जेएनयू प्रशासन की मिलीभगत से बिल्कुल आश्वस्त हैं।”
लेफ्ट गुट के छात्रों ने बनाई मानव श्रृंखला : एक आदमी जिसने एबीवीपी का सदस्य और जेएनयू का छात्र होने का दावा किया था, और खुद का नाम सुरेश बताया, अपने चेहरे पर एक मफलर लपेटे लोहे की रॉड के साथ आया था। उसने कहा, “हमारे एबीवीपी के छात्रों के साथ मारपीट करने के बाद वामपंथी छात्रों ने इस मुद्दे को शुरू किया, जिनकी संख्या आज परिसर में कम थी। हम सिर्फ खड़े होकर नहीं देख सकते हैं और इसलिए जवाब देने का फैसला किया।” रात 10.45 बजे तक पुलिस की संख्या बढ़ने लगी और भीड़ गेट के पीछे की तरफ चली गई। स्ट्रीट लाइटें 11 बजे तक जला दी गईं। तब तक लेफ्ट गुट के छात्रों की संख्या भी बढ़ने लगी और वे मानव श्रृंखला बनाना शुरू कर दिए। एबीवीपी के सदस्यों को पीछे ढकेल “एबीवीपी कैंपस छोड़ो”, “दिल्ली पुलिस शर्म करो” के नारे लगाने लगे।
700 से ज्यादा पुलिस अफसर कैंपस में थे : कैंपस के बाहर हिंसा और अराजकता के बारे में पूछे जाने पर डीसीपी (दक्षिण पश्चिम) देवेंद्र आर्य ने कहा, “हम इस मामले की पूछताछ कर रहे हैं और बाहरी लोगों की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं।” एक अधिकारी ने कहा कि अधिकतर वरिष्ठ अधिकारी जेएनयू में थे। रविवार रात तक 700 पुलिस अधिकारी जेएनयू में मौजूद थे।