महात्मा गांधी की 72वीं पुण्यतिथि पर कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम से जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ के (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद का नाम बढ़ते विवाद के बाद हटाना पड़ा। सोमवार को कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग ने दिल्ली के चिन्मया मिशन ऑडिटोरियम में शहला राशिद और कन्हैया कुमार को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर बतौर वक्ता आमंत्रित किया था। लेकिन, इसके पहले ही इन्हें कार्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने पर विवाद छिड़ गया। ऐसे में प्रोग्राम शुरू होने के एक घंटे पहले आमंत्रित किए गए लोगों की सूची से दोनों का नाम हटा दिया गया।
गौरतलब है कि जेएनयू में देश विरोधी नारे लगने के बाद कन्हैया कुमार और शहला राशिद समेत अन्य स्टूडेंट्स को हिरासत में लिया गया था। हाल ही में कन्हैया कुमार और शहला राशिद के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में चार्जशीट दाखिल किया गया। ऐसे में कांग्रेस ने इनसे दूरी बनाए रखने में ही भलाई समझी और इनकी जगह अपनी पार्टी के नेता मनीष तिवारी और प्रियंका चतुर्वेदी को बोलने के लिए आमंत्रित किया।
कार्यक्रम में कन्हैया और शहला राशिद को बुलाने पर कांग्रेस के ही समर्थक माने जाने वाले धर्मगुरु आचार्य प्रमोद कृष्णन ने विरोध किया। उन्होंने ट्वीट किया, “कांग्रेस देशभक्तों की पार्टी है। जिसने आजादी की जंग से लेकर देश की ‘एकता’ और ‘अखंडता’ के लिए अपने नेताओं का बलिदान दिया है। ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसा नारा लगाने वालों को कांग्रेस के पावन मंच पर बुलाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”
कांग्रेस “देशभक्तों” की पार्टी है, जिसने “आज़ादी” की जंग से लेकर,देश की “एकता” और “अखण्डता”के लिये अपने नेताओं का “बलिदान” दिया है. “भारत तेरे टुकड़े होंगे” जैसा नारा लगाने वालों को, कांग्रेस के “पावन” मंच पे बुलाया जाना बेहद “दुर्भाग्यपूर्ण” है.
— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) January 28, 2019
कांग्रेस के धुर आलोचक और बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इस घटना के बाद कांग्रेस को निशाने पर ले लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मंच पर शहला राशिद और कन्हैया को बुलाए जाने से आश्चर्यचकित नहीं है। क्योंकि, यह कांग्रेस के असली चरित्र को दर्शाता है। स्वामी ने कहा कि कांग्रेस के रिश्ते देशद्रोहियों के साथ हैं।