दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में फीस बढ़ोतरी पर हंगामा मचा हुआ है। सोमवार को फीस में इजाफे के खिलाफ छात्रों और पुलिस के बीच जबरदस्त झड़प देखी गई। इस दौरान कैंपस में खुद मानव संसाधन मंत्री भी फंसे रहे। फीस में हुए इजाफे को वापस लेने की छात्र मांग कर रहे हैं। दरअसल, जेएनयू में 40 फीसदी स्टूडेंट्स ऐसे हैं जिनके परिवार की आय 12,000 रुपये प्रति माह से भी कम है। यह जानकारी यूनिवर्सिटी की वार्षिक रिपोर्ट 2017-18 में दी गई है। जेएनयू स्टूडेंट यूनियन ने मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल को भी इस बात से अवगत कराया था। स्टूडेंट यूनियन ने कहा था कि फीस में बढ़ोतरी का मतलब है कि 40% छात्रों को अपनी शिक्षा आधे में ही छोड़नी पड़ सकती है।
जेएनयू में मेस से लेकर हॉस्टल रूम के चार्ज में काफी बदलाव किए गए हैं। संशोधित चार्ज पहले की तुलना में काफी ज्यादा है। वहीं, कई सेवाएं ऐसी हैं, जो पहले फ्री में मिलती थीं, लेकिन उस पर भी शुल्क लगा दिया गया है। अभी तक जेएनयू में पढ़ने वाले छात्रों से मेस के लिए सिक्यॉरिटी फीस (जो कि रिफंडेबल होती है) 5,500 रुपये ली जाती थी, जिसे अब बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दी गई है। इसके अलावा अभी तक सैनिटेशन और मेंटिनेंस आदि का शुल्क नहीं लगता है। लेकिन, अब इसके लिए 1,700 रुपये प्रति माह का शुल्क देना होगा। बिजली और पानी का भी अभी तक चार्ज नहीं लगता था, मगर अब इस्तेमाल के मुताबिक बिल का भुगतान करना होगा।
जेएनयू में स्टूडेंट्स को हॉस्टल के सिंगल रूम के लिए 20 प्रति महीना देना होता है। लेकिन इसे 600 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। जबकि, दो लोगों के एक साथ रहने पर कमरे की फीस 10 रुपये प्रति माह लिया जाता है। जिसे बढ़ाकर अब 300 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। इसके अलावा बर्तन, मेस बिल, इस्टैब्लिशमेंट चार्ज आदि में कोई बदलाव नहीं किए गए हैं।
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बढ़ी हुई फीस को देखते हुए सबसे ज्यादा चिंता गरीब तबके से आने वाले छात्रों को है। जेएनयू की रिपोर्ट के मुताबिक विश्वविद्यालय में 2017 में 1,556 छात्रों ने दाखिला लिया। इनमें से 623 छात्र एवं छात्रा ऐसे हैं जिनके माता-पिता की मासिक आय 12,000 रुपये से कम है। गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी ने शैक्षणिक सत्र 2018-19 की डिटेल जारी नहीं किया है। जेएनयू छात्र संघ की चिंता विद्यार्थियों के हॉस्टल और इससे जुड़ी सुविधाओं की फीस में इजाफे को लेकर है।