दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के कैंपस में रविवार की शाम सैकड़ों की संख्या में नकाबपोशों ने जमकर उत्पात मचाया। शिक्षकों और छात्रों की पिटाई की। जेएनयू के छात्रावासों के कमरे में तोड़फोड़ की। इस घटना के शिकार जेएनयू हॉस्टल में रहने वाले एक नेत्रहीन छात्र ने अपना दर्द बयां किया है। छात्र ने कहा कि अंधा होने की बात बताने के बावजूद नकाबपोश उसकी पिटाई करते रहे।
जेएनयू में अक्टूबर महीने से ही प्रस्तावित शुल्क वृद्धि को लेकर विवाद हो रहा है। छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इन विवादों के बीच रविवार को जेएनयू के हॉस्टल हिंसा के मैदान में बदल गए। इंडियन एक्सप्रेस ने आठ छात्रावासों के निवासियों से घटनाओं के क्रम के बारे में जानकारी ली। सबसे पहले दोपहर में पेरियार छात्रावास में झड़पें हुईं और शाम में साबरमती छात्रावास को भीड़ ने निशाना बनाया।
पेरियार छात्रावास में रहने वालों के अनुसार दोपहर लगभग 3.30 बजे बाहर झड़प हुई। स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के एक समूह ने आरोप लगाया कि उनके साथ एबीवीपी के कुछ सदस्यों ने मारपीट की थी और उसी के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए कैंपस में एक मार्च निकाला गया था। छात्रों ने दावा किया कि वे पेरियार छात्रावास पहुंचे, यहां “कई एबीवीपी छात्र रहते हैं”। इस दौरान यहां अंदर से उन पर पत्थर फेंके गए। एक छात्रावासी ने बताया, “पत्थर फेंकने की वजह से दोनों पक्षों के बीच एक घंटे तक संघर्ष हुआ। मैंने एक समूह को एबीवीपी के एक छात्र की पिटाई करते देखा। कुछ लोग हॉस्टल में भी चले गए। हालांकि इस समय किसी ने अपने चेहरे पर नकाब नहीं पहन रखा था।” सोमवार को गेट पर सुरक्षा गार्ड के केबिन की कांच की दीवार चकनाचूर दिखाई दी।
माही मांडवी छात्रावास में रहने वाले एक निवासी ने दावा किया कि शाम 4:30 के आसपास 40 से 50 की संख्या में छात्र वहां आए। वे सभी नकाब पहने हुए थे और उनके हाथों में डंडा था। निवासी ने कहा, “वे हॉस्टल में आए और गए लेकिन तोड़-फोड़ नहीं की और न हीं किसी को मारा।”
साबरमती छात्रावास में लड़कों का रहने वाले हिस्से में सबसे पहले तोड़फोड़ की गई। साबरमती ढाबे पर JNUTA के प्रदर्शन में शामिल कई लोग उस समय भाग गए जब भीड़ ने पहले हमला किया। निवासियों के अनुसार हिंसा शाम 6.40 से 7.20 बजे के बीच हुई। भीड़ ने शुरू में रिसेप्शन के कांच के दरवाजे तोड़ दिए और लाठी, पत्थर, रॉड और हथौड़ों से अंदर घुस गए।
छात्रावास के दरवाजों के ऊपर एक ग्लास पैनल है, जिसे तोड़ दिया गया था। यहां रहने वाले एक निवासी ने कहा, “वे जानते थे कि किस कमरे में दाखिल होना है क्योंकि उन्होंने सभी कमरों को निशाना नहीं बनाया। कुछ कमरों के आगे से यूं ही बढ़ गए। भीड़ को देखते ही कुछ छात्र पहली मंजिल से कूद गए। छात्रों के जाने के बाद पहले तो भीड़ ने वहां से जाने लगी लेकिन फिर उनके कमरों में तोड़फोड़ की।
पहली मंजिल पर रह रहे एक कश्मीरी छात्र के कमरे को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया। छात्र ने बताया, “जब मैंने उनके आने की आवाज सुनी तो कमरे की लाइट बंद कर दी और दरवाजा लगा लिया। लेकिन जब उन्होंने मेरे कमरे में लगे कांच की खिड़कियों को तोड़ दिया तो मैं अपनी बालकनी से पड़ोसी के कमरे में कूद गया। इसके बाद उन्होंने मेरे कमरे का दरवाजा तोड़ दिया।”
ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले एक नेत्रहीन छात्र सौर्य प्रकाश के साथ मारपीट की गई। प्रकाश कहते हैं, “जब मेरे दरवाजे के ऊपर लगे कांच को तोड़ा गया तो मैं उस वक्त पढ़ाई कर रहा था। शीशा टूटकर सीधे मेरे सिर पर गिरा। रॉड से मेरी पिटाई की गई। मैं चिल्लाता रहा कि मैं अंधा हूं। उन लोगों ने शराब पी हुई थी। जब उन्हें पूरी तरह विश्वास हो गया कि मैं अंधा हूं, तो एक ने कहा, ‘इस अंधे को क्यों मारना।’ और वे चले गए।”