जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा के लिए तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती आठ अक्टूबर को होगी। चुनाव की तैयारियों के बीच केंद्र शासित प्रदेश एक नई राजनीतिक पीढ़ी के उदय का गवाह बन रहा है। चुनाव में चौथी पीढ़ी के राजनेता के साथ-साथ पिता-पुत्र की जोड़ी भी मैदान में होगी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने कम से कम छह राजनीतिक वंशजों को नामांकित किया है, वहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भी एक पुराने सदस्य पर अपना विश्वास जताया है। आइये जम्मू-कश्मीर के चुनावी मैदान में उतरे राजनीतिक दिग्गजों के वंशजों पर एक नजर डालते हैं।
मेहर अली– वरिष्ठ एनसी नेता और श्रीनगर के सांसद मियां अल्ताफ के बेटे, मेहर अली को एसटी-आरक्षित कंगन विधानसभा सीट से मैदान में उतारा गया है। इस सीट को परिवार का गढ़ माना जाता है, जिस पर अल्ताफ ने 1987 और 2014 के बीच लगातार चार बार कब्जा किया था। वास्तव में, मियां परिवार 1983 को छोड़कर, जब कोई सदस्य दौड़ में नहीं था, कंगन से कभी चुनाव नहीं हारा। उस साल मेहर अली के दादा मियां बशीर ने राजौरी से चुनाव लड़ा था।
बशीर के पिता मियां निज़ाम-उद-दीन ने पहली बार 1962 में कंगन सीट जीती थी। परिवार के नवीनतम राजनेता मेहर अली, गांदरबल में एमबी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष और सीईओ हैं।
सलमान सागर– हजरतबल विधानसभा क्षेत्र के लिए एनसी के उम्मीदवार, सागर पार्टी महासचिव और पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर के बेटे हैं, जो खानयार विधानसभा क्षेत्र से पार्टी की पसंद हैं। इस क्षेत्र का वह 1996 से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सलमान लंबे समय से राजनीति में हैं और 2008 में श्रीनगर नगर निगम के मेयर के रूप में चुने गए थे। उन्होंने कश्मीर के लिए एनसी के प्रांतीय युवा अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।
डॉ सज्जाद शफी उरी– पेशे से डॉक्टर सज्जाद सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्र उरी से एनसी के उम्मीदवार हैं और एक राजनीतिक परिवार से हैं। वह पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद शफी उरी के बेटे और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राथर के दामाद हैं।
सज्जाद ने राजनीति में कदम रखने के लिए 2006 में अपनी नौकरी छोड़ दी थी। उनके पिता ने पहली बार 1972 में उरी सीट जीती थी और कई बार मंत्री रहे हैं। 2009 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया लेकिन 2014 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
हिलाल अकबर लोन- पेशे से वकील, हिलाल सोनावारी विधानसभा सीट से एनसी के उम्मीदवार हैं, जिसका प्रतिनिधित्व पिछली बार उनके पिता और पूर्व जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष मोहम्मद अकबर लोन ने किया था।
हिलाल पर 2020 के जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों के दौरान कथित भड़काऊ भाषण के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया था। जमानत पर रिहा होने से पहले उन्होंने एक महीना जेल में बिताया था। आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद उन्हें हिरासत में भी लिया गया था और कई महीनों तक श्रीनगर के एमएलए हॉस्टल में रखा गया था।
एहसान परदेसी– लाल चौक विधानसभा सीट से एनसी के उम्मीदवार एहसान नौकरशाह से नेता बने गुलामन कादिर परदेसी के बेटे हैं, जिन्होंने कई बार एनसी और पीडीपी के बीच पाला बदला है। हालांकि, एहसान एनसी के साथ जुड़े हुए हैं और कश्मीर प्रांत के लिए पार्टी के उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते हैं।
तनवीर सादिक- तनवीर दिवंगत सादिक अली के बेटे जिन्हें एनसी के संस्थापक शेख अब्दुल्ला के करीबी सहयोगी के रूप में देखा जाता था। तनवीर जदीबल विधानसभा क्षेत्रों से पार्टी के उम्मीदवार हैं, जहां शिया आबादी काफी है। पिछले कुछ समय से राजनीति में सक्रिय, एनसी के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के पूर्व राजनीतिक सलाहकार तनवीर आगामी चुनावों में चुनावी शुरुआत कर रहे हैं।
सैयद मुंतज़िर मेहदी– हुर्रियत नेता सैयद आगा हसन के बेटे, मुंतज़िर हाल ही में पीडीपी में शामिल हुए और बडगाम विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार हैं। सैयद मुंतज़िर शियाओं के एक प्रभावशाली धार्मिक संगठन अंजुमन-ए-शरी शियान से सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे। उनके चचेरे भाई आगा रुहुल्ला, एनसी के श्रीनगर सांसद, उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं।
यावर शफ़ी बंदे– शोपियां के दो बार के पूर्व विधायक अब्दुल मजीद बंदे जिन्होंने 1962 में कांग्रेस विधायक के रूप में और 1972 में निर्दलीय विधायक के रूप में सीट का प्रतिनिधित्व किया था, उनके पोते यावर इस सीट के लिए पीडीपी के उम्मीदवार हैं। उनके पिता मोहम्मद शफी बंदे ने 2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में शोपियां सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे।
इल्तिजा मुफ़्ती- पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा बिजबेहरा से पार्टी की उम्मीदवार हैं। यह सीट 1996 से पार्टी के पास है। हालांकि, वह अभी चुनावी शुरुआत कर रही हैं लेकिन इल्तिजा को पिछले साल महबूबा के मीडिया सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था और हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने अपनी मां के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था।