गुजरात के जिग्नेश मेवानी ने आम आदमी पार्टी (AAP) से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने शनिवार (20 अगस्त) को इस्तीफा दिया। जिग्नेश मेवानी गुजरात के ऊना में दलित लोगों की पिटाई के बाद हुए आंदोलन के प्रमुख चेहरा बने। इस्तीफा देते वक्त उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि उनका चुनाव लड़ने का कोई विचार नहीं है। जिग्नेश पर दलितों की पिटाई को राजनीतिक मुद्दे में बदलने के आरोप भी लगते रहे हैं। इस बात पर सफाई देते हुए जिग्नेश ने बताया कि उन्होंने कभी भी दलितों के मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश नहीं की थी। उन्होंने कहा. ‘मैं वह नेता हूं जिसकी छवि बिगाड़ने की कोशिश बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ दलित समुदाय के कुछ लोगों ने भी की। इस गंदगी से दूर रहते हुए मैं आप पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं दलितों के अधिकारों के लिए अब भी लड़ता रहूंगा।’
जिग्नेश ने यह भी बताया कि उनके और आप पार्टी के बीच कोई लड़ाई नहीं है। जिग्नेश ने अपने इस्तीफ के बारे में आप के सीनियर नेताओं को बता दिया है। उन्होंने कहा, ‘वे लोग मेरी बात को मान गए हैं। वे भी अब यही चाहते हैं कि दलित आंदोलन खुद ही आगे बढ़े। मैं साफ करना चाहता हूं कि आप पार्टी ने मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया।’
जिग्नेश 35 साल के हैं और गुजरात में चल रहे दलित आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे हैं। जिग्नेश ने इंग्लिश लिट्रेचर से ग्रेजुएशन किया है, वह पत्रकार भी रह चुके हैं। फिलहाल वह वकालत कर रहे हैं। ऊना में दलितों पर हुए अत्याचार के बाद जिग्नेश ने ही दलित लोगों को समाज की गंदगी उठाने से मना किया था। इसमें तय हुआ था कि दलित समुदाय के लोग ना तो मैला उठाएंगे और ना ही मरे हुए पशुओं को लेकर जाएंगे।
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