राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने सहित ही पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए जद (एकी) के चार विधायकों की बिहार विधानसभा से शनिवार को सदस्यता खत्म कर दी गई। इसके साथ ही विधानसभाध्यक्ष के पिछले महीने से अभी तक जद (एकी) के आठ बागी विधायकों की सदस्यता पार्टी की सिफारिश पर दलबदल कानून के प्रावधानों के तहत खत्म की जा चुकी है। इन विधायकों पर आरोप है कि उन्होंने राज्यसभा सीटों के लिए पिछले जून में हुए चुनाव में पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के बजाए दो निर्दलीय उम्मीदवारों अनिल शर्मा और साबिर अली का समर्थन किया था।
जिन विधायकों की सदस्यता समाप्त की गई है उनमें अजित कुमार (कांती, मुजफ्फरपुर), राजू सिंह (साहेबगंज, मुजफ्फरपुर), पूनम देवी यादव (बिगहा, पटना) और सुरेश चंचल (सकरा, मुजफ्फरपुर) शामिल हैं। विधायकों ने षड्यंत्र का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए उचित मौका नहीं दिया गया और वे निर्णय के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। इस घटनाक्रम के बावजूद बिहार में जद (एकी) सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि राजद, कांग्रेस, भाकपा और तीन निर्दलीय विधायक पिछले साल से अभी तक उसे समर्थन जारी रखे हुए हैं।
विधानसभा के प्रभारी सचिव हरेराम मुखिया ने बताया कि विधानसभाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने चारों विधायकों की मौजूदगी में एक आदेश पारित किया जिनके खिलाफ सत्ताधारी पार्टी ने उनकी सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई शुरू की थी। मुखिया ने कहा कि चौधरी ने जद (एकी) के इन चार बागी विधायकों की सदस्यता दल बदल निरोधी कानून के प्रावधानों के तहत समाप्त की। जद (एकी) के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने विधानसभाध्यक्ष के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि जिन विधायकों की सदस्यता खत्म की गई है वे पार्टी के खिलाफ काम करने के लिए सजा के हकदार थे।
उन्होंने पार्टी के अन्य बागी विधायकों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें भी कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए और उनके खिलाफ भी जल्द ही क्रमश: दलबदल निरोधी कानून के तहत कार्रवाई शुरू की जाएगी। विधानसभा के प्रभारी सचिव ने कहा कि विधानसभाध्यक्ष ने पिछले महीने इन चारों विधायकों के खिलाफ सदस्यता खत्म करने की कार्रवाई पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इन चार विधायकों की सदस्यता खत्म होने के साथ ही 243 सदस्यीय विधानसभा में जद (एकी) के विधायकों की संख्या कम होकर 111 रह गई है। विधानसभा में भाजपा के 88 सदस्य, राजद के 24, कांग्रेस के पांच, भाकपा का एक और निर्दलीय पांच सदस्य हैं।
सुरेश चंचल ने आरोप लगाया कि विधायकों के खिलाफ सदस्यता खत्म करने की कार्रवाई की गई, सुनवाई के दौरान उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए उचित मौका नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभाध्यक्ष ने उनके खिलाफ भी उसी तरह से एकतरफा फैसला सुनाया जिस तरह से पहले चार अन्य के खिलाफ सुनाया गया था। चंचल ने कहा कि वे विधानसभा से उनकी सदस्यता खत्म करने के फैसले को अदालत में चुनौती देंगे क्योंकि उन सभी का न्यायपालिका में विश्वास है। हालांकि जीतन राम मांझी सरकार में ग्रामीण कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि इन चार विधायकों ने पार्टी का अनुशासन तोड़ा था और एक अन्य पार्टी के लिए काम करते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हुए थे। जद (एकी) ने इस पर संज्ञान लिया और उनके खिलाफ दलबदल निरोधी कानून के तहत कार्रवाई शुरू की। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नजदीकी सहयोगी श्रवण कुमार ने कहा-आप एक पार्टी का सदस्य रहते हुए दूसरी पार्टी के लिए काम नहीं कर सकते क्योंकि यह अनुशासन भंग करने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के बराबर है।
बागी विधायकों में राजीव रंजन शामिल हैं जिन्हें हाल में तब पार्टी से छह सालों के लिए निलंबित कर दिया गया था जब सत्ताधारी जद (एकी) का विधायक रहते हुए उन्हें नालंदा जिले का राजग संयोजक बना दिया गया था। निलंबित जद (एकी) विधायक ने पार्टी नेतृत्व को ललकारते हुए कहा था वह उनके खिलाफ जो भी कार्रवाई उचित समझे कर सकती है। उन्होंने कहा था कि दलबदल निरोधक कानून के तहत विधानसभा से उनकी सदस्यता खत्म की गई है लेकिन वे इसके खिलाफ अदालत में नहीं जाएंगे। पिछले महीने जिन विधायकों की सदस्यता खत्म की गई थी उनमें ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज सिंह बबलू, रवींद्र राय और राहुल शर्मा शामिल हैं।
विधानसभाध्यक्ष ने यह भी आदेश दिया कि जिन विधायकों की सदस्यता खत्म की गई है उन्हें बिहार की 15वीं विधानसभा के पूर्व विधायक के रूप में कोई लाभ नहीं मिलेगा। विधानसभाध्यक्ष ने अपने आदेश में कहा-मैं अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए घोषणा करता हूं कि चार सदस्यों की भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा (2) (1) (ए) के प्रावधानों के तहत सदस्यता खत्म की जाती है। आदेश के परिणामस्वरूप उन्हें 15वीं विधानसभा के पूर्व विधायकों को मिलने वाली कोई भी सुविधा नहीं मिलेगी।
चौधरी ने अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया कि वर्तमान विधानसभा के विधायकों की सूची से उन सदस्यों के नाम हटा दिए जाएं जिनकी सदस्यता खत्म की गई है और इस बारे में तत्काल चुनाव आयोग को सूचित कर दिया जाए। सदस्यता खत्म करने के मामले की सुनवाई 12 जुलाई 2014 से 18 दिसंबर 2014 के दौरान 21 दिनों तक की गई। तीन बार विधायक रहे अजित कुमार ने कहा-यह लोकतंत्र की हत्या है। विधानसभाध्यक्ष की कुर्सी को कलंकित किया गया है और संविधान का उल्लंघन हुआ है। हम जल्द ही इस फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट जाएंगे।
कुमार ने कहा-अगर आप लोतंकत्र में जनप्रतिनिधियों को प्रताड़ित करते हैं तो जनता कार्रवाई करेगी। हमें विधानसभाध्यक्ष ने नहीं सुना, न ही हमें स्पष्टीकरण देने के लिए समय ही दिया गया। हम न्याय के लिए जनता के पास भी जाएंगे। सदस्यता खत्म किए गए विधायकों में शामिल एक अन्य विधायक राजू कुमार सिंह ने जद (एकी) को आड़े हाथ लिया और पार्टी के आदेश को ‘दिल्ली के शासक मोहम्मद बिन तुगलक’ के आदेश के समान बताया। सिंह ने कहा-लोकजनशक्ति पार्टी के कुमार, मैं और अन्य जब जद (एकी) में शामिल हुए थे, हमने राज्य में नीतीश कुमार की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। हम फिर से वैसा करेंगे और दूसरी सरकार बनाएंगे क्योंकि हमारी पार्टी ने हमारा अपमान किया है। बिगहा विधायक पूनम देवी ने कहा-वे (वर्तमान सरकार) कुछ और महीने सत्ता में रहेंगे। इसलिए वे जो चाहे कर सकते हैं। लेकिन वे 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद कहीं के नहीं रहेंगे।
खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा:
जिन विधायकों की सदस्यता शनिवार को समाप्त की गई है उनमें अजित कुमार (कांती, मुजफ्फरपुर), राजू सिंह (साहेबगंज, मुजफ्फरपुर), पूनम देवी यादव (बिगहा, पटना) और सुरेश चंचल (सकरा, मुजफ्फरपुर) शामिल हैं। विधायकों ने षड्यंत्र का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए उचित मौका नहीं दिया गया और वे निर्णय के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। पिछले महीने जिन चार विधायकों की सदस्यता खत्म की गई थी उनमें ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज सिंह बबलू, रवींद्र राय और राहुल शर्मा शामिल हैं।
महफूज है सरकार :
इन चार विधायकों की सदस्यता खत्म होने के साथ ही 243 सदस्यीय विधानसभा में जद (एकी) के विधायकों की संख्या कम होकर 111 रह गई है। विधानसभा में भाजपा के 88 सदस्य, राजद के 24, कांग्रेस के पांच, भाकपा का एक और निर्दलीय पांच सदस्य हैं। इस घटनाक्रम के बावजूद बिहार में जद (एकी) सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि राजद, कांग्रेस, भाकपा और तीन निर्दलीय विधायक पिछले साल से अभी तक उसे समर्थन जारी रखे हुए हैं।