बंगलूर। आय से अधिक संपत्ति मामले में चार साल की सजा पाने वाली अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता को कर्नाटक हाई कोर्ट से मंगलवार को फिर राहत नहीं मिली। अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। जयललिता की करीबी शशिकला और दो रिश्तेदारों की जमानत याचिकाएं भी अदालत ने खारिज कर दी हैं। हालांकि सरकारी वकील ने जयलिता को सशर्त जमानत देने पर विरोध न करने की बात कही थी। जयललिता अब इस फैसले के खिलाफ अगले एक-दो दिन में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं। फैसला आते ही शहर की परप्पाना अग्रहारा जेल और अदालत के बाहर जमा अन्नाद्रमुक के समर्थक निराश हो गए।

खचाखच भरे अदालत कक्ष में अपना फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति एवी चंद्रशेखर ने कहा कि जमानत देने का कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। इससे आर्थिक असंतुलन पैदा होता है। अदालत का यह फैसला जयललिता और उनके समर्थकों के लिए झटका है। विशेष लोक अभियोजक भवानी सिंह ने अदालत से कहा कि उन्हें जयललिता को सशर्त जमानत दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।
आय से अधिक संपत्ति मामले में विशेष अदालत ने 27 सितंबर को जयललिता को दोषी ठहराया था। इसके बाद से ही वह यहां की जेल में बंद हैं। विशेष लोक अभियोजक का रुख पता चलने के बाद, परप्पाना अग्रहारा जेल के पास और अदालत के बाहर एकत्रित अन्नाद्रमुक के समर्थक उनकी रिहाई का अनुमान लगाकर जश्न मनाने लगे। उन्होंने पटाखे चलाए। लेकिन उनका जश्न ज्यादा समय तक जारी नहीं रहा। जब फैसला सुनाया गया तो वहां मौजूद महिलाएं विलाप करने लगीं और पुरुष नारेबाजी करते हुए जमीन पर लेट गए।

फैसले के खिलाफ जयललिता के सुप्रीम कोर्ट जाने के सवाल पर जयललिता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा,‘मेरा मुवक्किल (भविष्य के बारे में) फैसला करेगा।’ हालांकि जयललिता के एक अन्य वकील ने कहा कि उनके पास बुधवार या गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

अदालत ने जयललिता की करीबी शशिकला और उनके रिश्तेदारों दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरण और इलावरासी की जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दीं। इन लोगों को भी 18 साल पुराने मामले में चार-चार साल की सजा हुई है।

जेठमलानी ने चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई राहत वाले फैसले का हवाला देते हुए अपनी दलीलों में 66 साल की जयललिता को तुरंत जमानत देने की अपील की। लेकिन अदालत ने उनकी दलीलें स्वीकार नहीं की। न्यायाधीश ने कहा कि लालू प्रसाद ने शीर्ष अदालत की ओर से जमानत मंजूर किए जाने से पहले जेल में 10 महीने गुजारे थे।

जेठमलानी ने इससे पहले जयललिता को चार साल के कारावास की सजा सुनाने वाली विशेष अदालत की सजा पर अमल को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389 के तहत अपील लंबित रहने तक लगाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने न्यायमूर्ति चंद्रशेखर से कहा कि नियमित परंपरा जमानत देने की है।

हाई कोर्ट की अवकाशपीठ ने एक अक्तूबर को यह मामला मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया था। जेठमलानी ने कहा कि अपील पर तर्कपूर्ण समयावधि में सुनवाई होनी चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता ने 66.65 करोड़ रुपए के आय से अधिक संपत्ति मामले में विशेष अदालत के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि (जयललिता के मुख्यमंत्री रहते हुए) 1991 और 1996 के बीच के समय से पहले की संपत्ति को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जयललिता के आचरण के बारे में ऐसा कुछ भी पता नहीं चला है कि वह फरार हो सकती हैं।

शशिकला, सुधाकरण और इलावरासी की ओर से पेश वकील अमित देसाई ने अदालत से कहा कि किसी भी गवाह ने इन तीनों की ओर से संपत्ति अर्जित करने की बात नहीं कही है। उन्होंने कहा कि संदेह सबूत की जगह नहीं ले सकता।