जनता परिवार की पार्टियों के विलय के औपचारिक ऐलान को अभी एक महीना भी नहीं बीता है कि इस पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। सपा नेता राम गोपाल यादव ने रविवार को कहा कि जनता परिवार का विलय बिहार विधानसभा चुनाव से पहले संभव नहीं है और ऐसा कोई भी कदम उनकी अपनी ही पार्टी के ‘डेथ वारंट’ पर हस्ताक्षर करने जैसा होगा।

सपा महासचिव यादव ने हालांकि कहा है कि तकनीकी कारणों से ही विलय कुछ दिन टल जाएगा। लेकिन उनकी इस टिप्पणी पर जद (एकी) अध्यक्ष शरद यादव ने तीखी प्रतिक्रिया जताई और कहा कि विलय पहले ही हो चुका है।

सपा नेता ने कहा कि सबसे अच्छा होगा कि लालू प्रसाद यादव की अगुआई वाली राजद और नीतीश कुमार की जद (एकी) इस साल होने वाला विधानसभा चुनाव सीटों की साझेदारी व्यवस्था के तहत लड़े क्योंकि यदि उन्होंने अभी विलय किया तो वे अपना चुनाव निशान गंवा बैठेंगे और मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी। सपा नेता ने पत्रकारों से कहा कि अगर हम हड़बड़ी में विलय करते हैं, तो यह मेरी अपनी पार्टी (सपा) के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा होगा।

उधर, शरद यादव ने कहा कि हमारा पहले ही विलय हो चुका है। कृपया, मुलायम सिंह जी से पूछिए, क्योंकि उन्हें नई पार्टी का प्रमुख बनाया गया है और बयान देने के लिए वही एकमात्र अधिकृत व्यक्ति हैं।

विलय को लेकर सपा में कड़े विरोध के अलावा राजद और जद (एकी) में भी बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में देरी को लेकर असंतोष उभर रहे हैं। लालू व नीतीश कुमार इन मुद्दों को सुलझाने के लिए पिछले सप्ताह तीन दिन यहां डेरा डाले रहे। लालू और नीतीश ने आपस में सीधी बातचीत भी की और दोनों मुलायम सिंह यादव से मिले। नीतीश ने यहां तक कहा कि सबकुछ ठीकठाक चल रहा है।

कई सपा नेता मानते हैं कि उनकी पार्टी को इस विलय से कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि जदयू और राजद का उत्तर प्रदेश में कोई आधार नहीं है, उल्टे इस विलय से सपा को नुकसान ही होगा क्योंकि वह अपना चुनाव चिह्न व पहचान गंवा बैठेगी जो सालों की मेहनत के बाद उत्तर प्रदेश की जनता के बीच बनाई गई है।

मुलायम, शरद, नीतीश, लालू और पूर्व प्रधानमंत्री व जद (सेकु) नेता एचडी देवेगौड़ा समेत जनता परिवार के सभी शीर्ष नेताओं ने पंद्रह अप्रैल को साझा संवाददाता सम्मेलन में जनता परिवार के विलय की घोषणा की थी।

नयी पार्टी का नाम, चुनाव चिह्न, झंडा और अन्य ब्योरे तय करने का काम छह सदस्यीय एक समिति को सौंपा गया था जिसमें गौड़ा, लालू, इनेलो के ओमप्रकाश चौटाला, सपा के रामगोपाल यादव और समाजवादी जनता पार्टी के कमल मोरा का शामिल हैं।