पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू कश्मीर पीपल्स मूवमेंट के चेयरमैन शाह फैजल इन दिनों पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (PSA) के तहत नजरबंद हैं। एक खबर के अनुसार, शाह फैजल नजरबंदी के दौरान कुरान और कई अन्य किताबें पढ़ रहे हैं, जिनमें कानून, इतिहास और ऊर्दू साहित्य की किताबें प्रमुख हैं। इसके साथ ही वह पांच वक्त की नमाज़ भी पढ़ रहे हैं। शाह फैजल को 14 अगस्त, 2019 को नई दिल्ली से हिरासत में लिया गया था। इसके बाद से ही शाह फैजल नजरबंद हैं।
बीती 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शाह फैजल पर पीएसए लगाने का फैसला किया है। पीएसए के तहत शाह फैजल को श्रीनगर के एमएलए हॉस्टल में नजरबंद रखा गया है। यूपीएससी टॉपर रहे शाह फैजल ने बीते साल सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया था और खुद की राजनैतिक पार्टी बनायी थी।
द वायर के साथ बातचीत में शाह फैजल के परिजनों ने कहा “हैरानी की बात है कि कल तक वह आदर्श नागरिक था और अब उसे अपराधी बताया जा रहा है। परिजनों ने कहा कि फैजल कोई गुंडा नहीं है। वह एक विद्वान है और हावर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक है। वह इस सब का हकदार नहीं है।” परिजनों के अनुसार, उन्हें शाह फैजल के राजनीति में शामिल होने का कोई मलाल नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी नजरबंदी अल्लाह की एक परीक्षा है।
जम्मू कश्मीर पुलिस के डॉजियर के मुताबिक शाह फैजल को अपने लेख, ट्वीट्स और सोशल मीडिया से अलगाववाद को बढ़ावा देने के आरोप में नजरबंद किया गया है। हालांकि शाह फैजल के परिजनों ने इन आरोपों से साफ इंकार किया।
शाह फैजल के परिवाल के लोगों ने बताया कि उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें रिहा करने के बदले एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने का विकल्प दिया गया था, (इस बॉन्ड में कथित तौर पर उनके किसी भी राजनैतिक गतिविधि में भाग नहीं लेने की बात कही गई थी) लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
पूर्व आईएएस के परिजनों ने बताया कि शाह फैजल के राजनीति में आने का उन्हें कोई दुख नहीं है, वह कश्मीर के लोगों के लिए कुछ करना चाहता है और इसलिए उसने बहादुरी भरा फैसला लिया। शाह फैजल के परिजनों ने बताया कि वह नजरबंदी के दौरान कई किताबें पढ़ रहे हैं, जिनमें राजनीति विज्ञान की किताबों के साथ ही टॉलस्टाय की किताबें प्रमुख हैं।

