जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन को करीब एक वर्ष की हिरासत के बाद शुक्रवार को रिहा कर दिया गया। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के केन्द्र के कदम के एक वर्ष पूरा होने के कुछ वक्त पहले लोन को रिहा किया गया है। वहीं, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की पीएसए के तहत हिरासत की अवधि तीन माह और बढ़ा दी गई है। जम्मू कश्मीर में विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 खत्म करने के साथ ही 5 अगस्त 2019 से महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री की हिरासत के मौजूदा आदेश की अवधि इस साल पांच अगस्त को खत्म हो रही थी। गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक मुफ्ती अपने आधिकारिक आवास फेयरव्यू बंगले में अगले तीन महीने और हिरासत में ही रहेंगी। इस बंगले को उप जेल घोषित किया गया है । आदेश में कहा गया है, ‘‘कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने हिरासत की अवधि आगे विस्तारित करने की सिफारिश की है और इस पर गौर करने के बाद इसे जरूरी समझा गया।’’ फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला समेत मुख्यधारा के अधिकतर नेताओं को हिरासत से रिहा किया जा चुका है।
लोन ने अपना दर्द बयां किया है। उनका कहना है कि पहले तन पर जुल्म होता था इस बार मन टूटा है। उन्होंने ट्वीट किया,‘‘ एक वर्ष में पांच दिन कम रहने पर मुझे आधिकारिक तौर पर सूचित किया गया कि मैं अब स्वतंत्र व्यक्ति हूं। कितना कुछ बदल गया और मैं भी। जेल जाना कोई नया अनुभव नहीं है। इससे पहले वाले कठोर और शारीरिक यातना के दौर होते थे लेकिन यह मानोवैज्ञानिक तौर पर परेशान करने वाला था। उम्मीद है कि शीघ्र ही कुछ और साझा करूंगा।’’
अधिकारियों ने बताया कि जेकेपीसी के अध्यक्ष को इस वर्ष फरवरी में यहां उनके आवास में भेज कर नजरबंद किया गया था। उन्होंने बताया कि केन्द्र द्वारा जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के बाद उन्हें पिछले साल पांच अगस्त को हिरासत में लिया गया था । पीडीपी-बीजेपी गठबंधन में पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे लोन और मुख्यधारा की पार्टियों के अन्य नेताओं को प्रसिद्ध डल झील के किनारे स्थित सेंटूर होटल में अस्थाई जेल में रखा गया था। इसके बाद इन लोगों को एमएलए छात्रावास ले जाया गया था। फरवरी में लोन और पीडीपी नेता वहीद पार्रा को उनके घर में नजरबंद किया गया था।
इससे पहले गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने अपने निवास की दीवार के पीछे से कुछ देर के लिए मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत में जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा ‘झूठ’ बोले जाने को लेकर वह फिर अदालत की ओर रुख करेंगे। उन्होंने जम्मू कश्मीर प्रशासन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा था कि पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर (पूर्व राज्य) के विशेष दर्जे को समाप्त किये जाने के बाद से ‘उन्हें अवैध रूप से नजरबंद’ रखने को लेकर वह सरकार पर मुकदमा करेंगे।
(भाषा इनपुट्स के साथ)