मीरवाइज को श्रीनगर जामा मस्जिद जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। श्रीनगर जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने जम्मू कश्मीर प्रशासन पर मीरवाइज उमर फारूक की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने का शुक्रवार को आरोप लगाया। अंजुमन औकाफ जामा मस्जिद ने एक बयान में दावा किया, ‘‘चार साल की नजरबंदी से रिहाई के बाद, हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक को केवल तीन शुक्रवार को जामा मस्जिद जाने दिया गया और तब से उन्हें हर शुक्रवार को घर में नजरबंद कर दिया जाता है।’’
समिति ने मीरवाइज को श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ने देने को लेकर प्रशासन की निंदा की। श्रीनगर जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने दावा किया कि ऐसी कार्रवाई से लोगों में अन्याय और उन्हें अलग-थलग कर दिये जाने की भावना गहरी हुई है। इसने यह भी दावा किया कि प्रशासन अपनी इस कार्रवाई के लिए कोई उचित कारण नहीं बता रहा है।
घर में ही कर दिया नजरबंद
जामा मस्जिद ने बयान जारी कर कहा कि आज जामा मस्जिद में मीरवाइज को को शब-ए-मेहराज के अवसर पर उपदेश देना था लेकिन उससे पहले ही उन्हें नजरबंद कर दिया गया है। उनका उपदेश सुनने के लिए मस्जिद में बड़ी संख्या में लोग आने थे। अधिकारियों ने फारूक के घर के बाहर पुलिस वाहन तैनात कर दिए गए हैं। हालांकि, अभी तक अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है।
2019 में किया गया था नजरबंद
उमर फारूक को अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद सितंबर 2023 में उन्हें रिहा किया गया था। चार साल की नजरबंदी से रिहाई होने के बाद उमर फारूक ने गठबंधन के रुख को दोहराया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए। कश्मीर के लोग समुदायों और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में यकीन रखते हैं।
कौन हैं मीरवाइज उमर फारूक?
उमर फारूक, कश्मीर के अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं। मीरवाइज, कश्मीर में काफी समय से चला आ रहा इस्लामी धर्मगुरुओं का एक ओहदा है। श्रीनगर की जामा मस्जिद के प्रमुख मीरवाइज होते हैं। उमर फारूक के पिता मौलवी फारूक की हत्या होने के बाद 17 साल की उम्र में ही उन्हें मीरवाइज बनाया गया था।