JK Assembly Elections 2024: जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने अपनी कमर का कस ली है, तो दूसरी ओर पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने इस चुनाव से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। गुलाम नबी आजाद के इस ऐलान ने उनकी पार्टी यानी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) को बड़ा झटका दिया है। पहले चरण के लिए 18 सितंबर को होने वाली वोटिंग से पहले ही पार्टी के चार प्रत्याशियों ने अपने नामांकन वापस ले लिए हैं। बता दें कि पहले फेज के लिए 10 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था।
जानकारी के मुताबिक, गुलाम नबी आजाद की पार्टी के जिन प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस लिया है। वे आजाद के गढ़ कहे जाने वाले डोडा, रामबन और किश्तवाड़ क्षेत्र से आते हैं। बता देंगे पूर्व राज्यसभा सांसद ने बुधवार को स्वास्थ्य कारणों से अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने में असमर्थता जताई थी और उनसे यह तक कहा था कि वह खुद यह निर्णय लें कि उनकी गैर मौजूदगी में वे चुनाव लड़ेंगे या नहीं।
आखिरी तारीख को वापस लिया नामांकन
जम्मू कश्मीर में पहले चरण की वोटिंग के तहत 18 सितंबर को 24 सीटों पर वोटिंग होगी। इसके लिए गुलाम नबी आजाद की पार्टी ने 13 प्रत्याशियों की घोषणा की थी जिसमें सात कश्मीर संभाग और 6 चिनाब बेल्ट से थे। पहले चरण में नाम वापस लेने की आखिरी तारीख को आज डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के मोहम्मद असलम गोनी, फातिमा बेगम, आसिफ अहमद खंडे और गिरधारी लाल भाऊ नेअपना नामांकन वापस ले लिया है।
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नामांकन वापस लेने वाले प्रत्याशियों में से एक बनिहाल के आसिफ अहमद खंडे ने कहा की गुलाम नबी आजाद हमारे स्टार प्रचारक थे और क्योंकि वह अस्वस्थ हैं, और प्रचार नहीं कर सकते। इसलिए हमने अपना नाम वापस लेने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद की तबीयत खराब है, जिसके चलते हुए पहाड़ी इलाकों में प्रचार नहीं कर सकते हैं।
Congress-NC को होगा फायदा?
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि गुलाम नबी आजाद और उनकी पार्टी के प्रत्याशियों के पीछे हटने के चलते इन सभी चार सीटों पर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन के उम्मीदवारों की दावेदारी पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है। चिनाब रीजन की कुछ सीटों की बात करें तो आजाद की पार्टी का प्रभाव भले ही ज्यादा नहीं है, लेकिन यह कहा जाता है कि वह वोट काटकर बीजेपी को फायदा पहुंचाने में सक्षम हो सकते थे।
2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का क्या था हाल?
रिपोर्ट्स बताती हैं कि यहां पर ऐसी कई सीटें हैं, जहां हिंदू और मुस्लिम की आबादी काफी मिक्स है और अगर वोट बंटता है, तो बीजेपी उसका फायदा उठा सकती है। साल 2014 के विधानसभा चुनाव का जिक्र करें, तो बीजेपी ने चिनाब बेल्ट से चार और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं। बता दें कि 2022 में हुए परिसीमन के बाद चिनाब बेल्ट में 6 की जगह 8 सीटें हो गई हैं।