जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बुधवार को तीन दशकों से अधिक समय तक प्रतिबंधित रहने के बाद गुरुवार को श्रीनगर से 8वें मुहर्रम जुलूस की अनुमति देने का फैसला किया। हालांकि, प्रशासन ने जुलूस के लिए एक समय सीमा निर्धारित की है।

शिया समुदाय ने गुरुवार को गुरुबाजार से डलगेट मार्ग पर मुहर्रम जुलूस निकाला, जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। अधिकारियों ने व्यस्त लाल चौक क्षेत्र से गुजरने वाले मार्ग पर जुलूस के लिए सुबह छह बजे से आठ बजे तक दो घंटे का समय दिया था इसलिए लोग सुबह करीब साढ़े पांच बजे ही गुरुबाजार में एकत्र हुए। 90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद मुहर्रम का जुलूस नहीं निकाला गया था।

सुबह 6 से 8 बजे तक निकला जुलूस

उपायुक्त श्रीनगर, अजाज असद द्वारा बुधवार शाम को जारी एक आदेश के अनुसार, “27 जुलाई, 2023 को सुबह 6 बजे से सुबह 8 बजे तक, 8वीं मुहर्रम-1445 को गुरु बाजार से बुडशाह कदल और एम.ए. रोड, श्रीनगर के माध्यम से डलगेट तक मुहर्रम जुलूस निकालने की अनुमति दी गई है।” बुधवार को अपने आदेश में, प्रशासन ने जुलूस निकालने वालों से कहा है कि वे किसी भी तरह का राष्ट्र-विरोधी/प्रतिष्ठान-विरोधी भाषण/नारेबाजी या प्रचार न करें।

जम्मू-कश्मीर में भारी पुलिस बल तैनात

वहीं, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) कश्मीर क्षेत्र विजय कुमार ने जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा लगभग 3 दशकों के बाद श्रीनगर में अपने पारंपरिक मार्ग से मुहर्रम जुलूस की अनुमति देने पर बात करते हुए कहा कि जैसे ही सरकार ने यह निर्णय लिया, हमने एक बैठक की। कल रात से बल तैनात है। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि जुलूस के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों से शिया समुदाय जुलूस की अनुमति की मांग रह रहे थे। प्रशासन द्वारा निर्णय लेने के बाद हमने पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की हुई थी।’’

तीस से अधिक सालों में यह पहली बार है कि इस मार्ग पर मुहर्रम के आठवें दिन के जुलूस को अनुमति दी गई है। कश्मीर के मंडलायुक्त वीके भिदुरी ने बुधवार को कहा था कि चूंकि जुलूस कार्यदिवस पर निकाला जा रहा है, ऐसे में इसके लिए सुबह छह बजे से सुबह आठ बजे तक का समय तय किया गया है ताकि लोगों को असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे शिया भाइयों की लंबे समय से मांग थी कि गुरुबाजार से डलगेट तक पारंपरिक जुलूस की अनुमति दी जाए। पिछले 32-33 वर्षों से इसकी अनुमति नहीं थी।’’

इन कारणों से लगी थी रोक

जम्मू-कश्मीर में मुहर्रम के जुलूस की अनुमति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि तीन दशकों से ज्यादा समय से इसकी इजाजत नहीं थी, क्योंकि सरकार जुलूस निकालने वालों को अलगाववादी आंदोलन के प्रति नरम मानती थी। 1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंकी घुसपैठ की शुरुआत में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

आदेश में कहा गया है कि जुलूस के दौरान ऐसी कोई गतिविधि नहीं होनी चाहिए जो राज्य की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हानिकारक हो और प्रतिभागियों को किसी भी राष्ट्रीय प्रतीक/प्रतीक का अनादर नहीं करना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि जुलूस निकालने वाले उत्तेजक नारे/पाठ या आतंकी संगठनों की तस्वीरें, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर प्रतिबंधित संगठनों के लोगो वाला कोई झंडा नहीं फहराएंगे। जुलूस में शामिल होने वाले प्रतिभागियों की गतिविधियां पूरी कार्यक्रम तक ही सीमित रहनी चाहिए। वे जनहित में स्थानीय पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग करेंगे।