Jammu-Kashmir: जम्मू के मैदानी इलाकों में बीजेपी ने कांग्रेस का सफाया कर दिया है। बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अपने प्रदर्शन की वजह से विजयी रही है। आर्टिकल 370 रद्द होने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने वोट शेयर में बढ़ोतरी की है। बीजेपी का वोट शेयर 22 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी से ज्यादा हो गया है। वहीं पार्टी की सीटों की संख्या 25 से बढ़कर 29 हो गई है। हालांकि, इसका दूसरा पहलू यह है कि न केवल बीजेपी की सारी जीत जम्मू डिविजन में हुई है, बल्कि घाटी में भारतीय जनता पार्टी ने जिन 19 सीटों पर चुनाव लड़ा उनमें से एक सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर उसके उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई है। लेकिन कश्मीर में भी पार्टी के वोट शेयर में इजाफा हुआ है।
साल 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी ने कश्मीर में 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी तो बीजेपी प्रत्याशी वाले सभी निर्वाचन क्षेत्रों में 2.5 फीसदी वोट मिले थे। हाल के विधानसभा चुनावों में उसने लगभग आधी संख्या यानी 19 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन इन सीटों पर उसका वोट शेयर बढ़कर 5.8 फीसदी हो गया।
बीजेपी के वोट शेयर में हुआ इजाफा
कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी का जीत नहीं दर्ज पाना राज्य का दर्जा खत्म करके दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के प्रति लोगों के गुस्से को दिखाता है। लेकिन पार्टी ने अपने वोट शेयर में काफी इजाफा किया है। यह दिखाता है कि पार्टी ने चुनाव लड़ने वाली सीटों को चुनने में काफी सावधानी बरती है। इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा इलेक्शन में भी बीजेपी ने कश्मीर में उम्मीदवार न उतारने के पीछे भी यही सोच थी। पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले शर्मिंदगी से बचने का ऑप्शन चुना था। विधानसभा चुनाव में पार्टी का सबसे बढ़िया प्रदर्शन गुरेज और हब्बाकदल सीट पर रहा था। यहां पर वह दूसरे नंबर पर आई।
पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर मौजूद 21,000 से ज्यादा वोटर्स वाला गुरेज एकमात्र ऐसा निर्वाचन क्षेत्र भी था जहां बीजेपी ने अपनी जमानत नहीं खोई। 2014 में पार्टी ने उत्तरी कश्मीर सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था। इस बार बीजेपी ने गुरेज में नेशनल कॉन्फ्रेंस को कड़ी चुनौती दी। इस सीट पर चुनाव लड़ रहे बीजेपी उम्मीदवार फकीर मोहम्मद खान और एनसी के नजीर अहमद खान पुराने विरोधी हैं और दोनों ने अतीत में मामूली अंतर से जीत हासिल की थी।
हब्बा कदल विधानसभा सीट पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही
श्रीनगर के हब्बा कदल विधानसभा सीट से बीजेपी दूसरे नंबर पर रही, लेकिन उसे अपनी जमानत राशि गंवानी पड़ी। यहां पर उसे केवल 2,899 वोट मिले। इस निर्वाचन क्षेत्र में 16 उम्मीदवारों में से कई कश्मीरी पंडित थे। बीजेपी ने भी पंडित अशोक कुमार भट को मैदान में उतारा था। यह एनसी के प्रत्याशी शमीम फिरदौस से हार गए। वह सिर्फ 12,437 वोट पाकर जीतीं। यह इस बात को दिखाता है कि 16 उम्मीदवारों के बीच में वोट किस तरह बंटे थे।
2014 में भी बीजेपी हब्बाकदल में दूसरे नंबर पर रही थी, एनसी के बाद और उसे 22 फीसदी वोट मिले थे। यह अकेला निर्वाचन क्षेत्र था जहां बीजेपी ने तब अपनी जमानत नहीं गंवाई थी। हालांकि, 2014 और 2024 दोनों में हब्बाकदल में बहुत कम वोटिंग हुई थी। यह करीब 20-21 फीसदी ही थी। बिजबेहरा और अनंतनाग ईस्ट में बीजेपी तीसरे नंबर पर रही। शोपियां और चन्नपोरा में चौथे नंबर पर रही, जबकि आठ निर्वाचन क्षेत्रों में यह पांचवें नंबर पर रही। बांदीपुरा में यह 1,000 से कुछ ज्यादा वोटों के साथ 12वें नंबर पर रही, जबकि श्रीनगर के ईदगाह में इसके उम्मीदवार को सभी बीजेपी उम्मीदवारों में सबसे कम वोट (479) मिले।
ईदगाह में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई
श्रीनगर की सभी सीटों में ईदगाह में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई थी। यहां पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुबारक गुल और पीडीपी के खुर्शीद आलम के बीच कड़ी टक्कर थी। गुल ने जीत हासिल की, जबकि आलम एक निर्दलीय के बाद तीसरे नंबर पर रहे। बांदीपुरा उन 10 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक था जहां जमात-ए-इस्लामी समर्थित उम्मीदवार निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहा था। कांग्रेस ने यह सीट जीती।
2014 में बीजेपी को 12 निर्वाचन क्षेत्रों में एक हजार से भी कम वोट मिले थे। इसमें उसके जादीबल उम्मीदवार को केवल 360 वोट मिले थे। इस बार केवल दो सीटें ऐसी रहीं जहां उसे एक हजार से भी कम वोट मिले। घाटी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस के पक्ष में वोट किया हैं। वहीं सीपीआईएम ने गठबंधन के तौर पर एक सीट पर चुनाव लड़ा। कश्मीर की 47 सीटों में से गठबंधन ने 41 सीटें जीतीं। भले ही एनसी का कुल वोट शेयर 23.43 फीसदी था।