Jammu and Kashmir (JK) Latest News Today: मोदी सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला लिया। सरकार ने अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को खत्म कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी दो संकल्पों को मंजूरी दे दी। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर सबकी नजरें रहीं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस फैसले से अभी तक सिर्फ संगठन चलाने में सिद्धहस्त समझे जाने वाले अमित शाह का आगे का राजनीतिक करियर तय होगा।
शाह ने बीजेपी के इस बड़े एजेंडे को अमली जामा पहनाने के लिए पूरी तैयारी की। यहां तक कि पार्टी सांसदों के लिए आयोजित दो दिवसीय अभ्यास वर्ग में प्रस्तावित भाषण भी नहीं दिया। बस पहले दिन कार्यक्रम की शुरुआत में छोटी सी स्पीच दी थी। बाकियों की छोड़िए, खुद बीजेपी सांसद भी शाह के अगले कदम को जानने के लिए उत्सुक नजर आए।
बीते दो दिन से गृह मंत्री पार्लियामेंट हाउस कॉम्प्लेक्स स्थित अपने दफ्तर से काम कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने मामले से जुड़े विभिन्न लोगों के साथ बैठकें की। पूरे मामले में इतनी सीक्रेसी बरती गई कि अधिकतर मंत्री और बड़े पार्टी नेता भी अटकलें लगाते रह गए। पार्टी के एक नेता ने कहा कि ऐसा लगता है कि सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी और शाह को ही पूरी योजना के बारे में पता था और सीनियर मंत्रियों तक को टुकड़ों में जानकारी दी गई।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय कानू मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रविवार देर रात बिल से संबंधित ड्राफ्ट का काम पूरा किया। बताया जा रहा है कि बाकी मंत्रियों को इस बारे में जानकारी सोमवार सुबह कैबिनेट मीटिंग में दी गई। बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि शाह ने काफी वक्त पहले ही इस योजना को पूरा करने का प्लान बना लिया था। इस लंबी चौड़ी कवायद में कानून का ड्राफ्ट तैयार करना और राज्यसभा में जरूरी संख्याबल हासिल करना भी शामिल था।
What is Article 35A, Know here
बता दें कि विपक्ष के कुछ सांसदों का इस्तीफा और उनका बीजेपी में शामिल होना इस प्लान का ही हिस्सा माना जा रहा है। एक केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, शाह ने सीनियर मंत्रियों और पार्टी नेताओं से राज्यसभा में जरूरी बहुमत जुटाने के लिए कहा था। गृह मंत्री ने इन नेताओं को बस इतना कहा था कि कुछ जरूरी और बेहद अहम बिल संसद में पास होने वाले हैं। मंत्री के मुताबिक, आरटीआई और ट्रिपल तलाक बिल पास कराके पहले असली हालात का जायजा लिया गया।
बीजेपी के एक सीनियर नेता ने बताया कि अपने पूर्ववर्ती गृह मंत्रियों की तरह शाह अलगाववादियों से शांति वार्ता में वक्त बर्बाद नहीं करना चाहते थे। उन्होंने मजबूती से इस मामले से निपटने का फैसला किया। शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मदद से यह सुनिश्चित किया कि कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों की पर्याप्त तैनाती हो ताकि किसी संभावित हिंसा से निपटा जा सके।
What is Article 370, Know Here
संसद में ऐलान से ऐन पहले कश्मीर में सभी प्रमुख पार्टियों के नेताओं को नजरबंद किया गया। इसके अलावा, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्शन भी बंद कर दिए गए ताकि किसी प्रदर्शन के लिए भीड़ न इकट्ठी हो सके। पार्टी के एक नेता ने कहा कि घाटी में उठाए गए हर एक कदम में शाह की छाप थी। यह उनका मिशन था, जिसमें उन्हें कामयाबी मिली।