जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और बीजेपी के महासचिव राम माधव के बीच सोशल मीडिया पर कहासुनी हो गई। ट्विटर पर दोनों ही नेताओं ने एक दूसरे पर निशाना साधा। इस जंग की शुरुआत राम माधव के ट्वीट के बाद हुई थी। दरअसल, शनिवार (20 अगस्त) को जम्मू कश्मीर के विपक्षी दल के कई नेता राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिलने के लिए दिल्ली आए थे। इस मुलाकात का नेतृत्व उमर अब्दुल्ला ने ही किया था। उसी मुलाकात को लेकर माधव ने निशाना साधा था। हालांकि, माधव ने अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिखा था। लेकिन अब्दुल्ला ने उनका नाम लेकर ट्वीट किया। माधव ने लिखा था, ‘राजनीतिक समाधान निकालने वाली मुलाकातें राजनीतिक फायदा लेने के लिए होती हैं। इससे राज्य की स्थिति सामान्य नहीं होगी। बल्कि इससे राज्य में तनाव और पैदा होगा।’

माधव का यह ट्वीट अब्दुल्ला को पसंद नहीं आया और उन्होंने कहा कि माधव को नाम लेकर बात करनी चाहिए। अब्दुल्ला ने माधव को सरकार की एजेंसी IB, MI, RAW, CID को इस्तेमाल करके उनके खिलाफ सबूत निकालने को कहा। उन्होंने लिखा, ‘ऐसे ट्वीट करने की जगह तुम सीधा नाम लेकर बात क्यों नहीं करते? मैं तुम्हें चैलेंज करता हूं कि फैले तनाव में हम किसी का भी हाथ है ऐसा साबित करके दिखाओ।’

हालांकि माधव भी शांत नहीं रहे। उन्होंने लिखा, ‘वे राजनीतिक समाधान निकालने की बात करते हैं लेकिन यह नहीं बताते कि यह आजादी के नारे क्या हैं? जब वे सत्ता में थे तब उनपर भी पत्थर फेंके जाते थे लेकिन तब उन्होंने ऐसी बातचीत करने के लिए नहीं कहा।’

इसके बाद उमर ने लिखा, ‘हम लोगों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और इसके लिए बीजेपी और पीडीपी की सरकार हम लोगों को निशाना बना रही है। क्या राष्ट्रपति से मिलना भी देशद्रोह है ?’

इससे पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में विपक्षी नेताओं ने शनिवार (20 अगस्त) को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि वह केंद्र सरकार से कश्मीर के वर्तमान संकट का प्रशासनिक की जगह राजनीतिक समाधान ढूंढ़ने को कहें। बीस विपक्षी नेताओं का नेतृत्व कर रहे उमर ने राष्ट्रपति से एक घंटे की मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, उन्होंने कहा, ‘हमने राष्ट्रपति से केंद्र सरकार से यह कहने का आग्रह किया कि वह राज्य में राजनीतिक मुद्दे का समाधान करने के लिए आगे कोई और विलंब किए बिना सभी पक्षों को शामिल कर राजनीतिक वार्ता की ठोस एवं उपयोगी प्रक्रिया शुरू करे।’ उमर ने कहा कि स्थिति से राजनीतिक नजरिए से निपटने से केंद्र का लगातार इनकार ‘निराशाजनक है और इससे राज्य में शांति एवं स्थिरता के लिए दीर्घकालिक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।’