जम्मू-कश्मीर में एक कैंसर पीड़ित पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में लेने का मामला सामने आया है। दक्षिण कश्मीर के कुलकाम के एक कैंसर रोगी के परिवार ने इसके खिलाफ जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का रुख किया है। कैंसर पीड़ित को उत्तर प्रदेश के बरेली जेल में भेजा गया है। उसके परिवार ने अदालत से चिकित्सा के आधार पर रिहा करने की मांग की है। कुलगाम के माटीबग गांव के रहने वाले 33 वर्षीय परवेज़ अहमद पल्ला को पुलिस ने “आम जनता की सुरक्षा और राष्ट्र की संप्रभुता के लिए ख़तरा” बताया है।

श्रीनगर के एसकेआईएमएस में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉक्टर तनवीर ए राथर के मुताबिक पल्ला को इलाज का फॉलोअप करते रहना पड़ता है और उसे नियमित रूप से उपचार के लिए आना होता है। मेडिकल इमरजेंसी का हवाला देते हुए पल्ला के परिजनों ने इससे पहले कुलगाम के जिलाधिकारी को भी एक पत्र लिखा था। परवेज अहमद पल्ला को 6 अगस्त को घाटी में उसके घर से हिरासत में लिया गया था। एक दिन बाद पीएसए के तहत उसे बुक किया गया और यूपी के बरेली जेल में ले जाया गया। हालांकि, उसके परिजन प्रश्न पूछते हैं कि जब वह “जीवनरक्षक दवाओं” पर जी रहे हैं, तो उससे भला ख़तरा कैसे हो सकता है।

वहीं, इस मामले में पुलिस का कहना है, “Subject (संबंधित शख्स) गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल है और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों को हर लॉजिस्टिक मदद पहुंचाता है, जो भारत से जम्मू-कश्मीर को अलग करने के लिए गैरकानूनी और विध्वंसक गतिविधियां चला रहे हैं। ऐसे में संबंधित शख्स की गतिवधियां राज्य की सुरक्षा के लिए काफी ज्यादा पूर्वाग्रही हैं। यह माना गया है कि यदि संबंधित शख्स को आजाद किया जाता है, तो वह कोई भी विध्वंसक साजिश रच सकता है या आतंकियों के गुट में किसी रैंक पर शामिल हो सकता है। इससे आम जनता की सुरक्षा और राष्ट्र की संप्रभुता को ख़तरा हो सकता है।”

पुलिस ने पल्ला की हिरासत को जायज ठहराते हुए बताया कि कुलगाम थाने में उसका नाम एक FIR (83/2017) में दर्ज है। उस दौरान उसका नाम एक आतंकवादी गतिविधि में सामने आया था। पुलिस के डोजियर में लिखा है, “2018 में Subject (संबंधित शख्स) को विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने पर सुरक्षा बलों द्वारा पकड़ा गया था। वह आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का एक कट्टर OGW (ओवर ग्राउंड वर्कर) है, जो ख़तरनाक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इस संगठन को सभी रसद सहायता मुहैया कराता है। इस विषय ने सभी संभव तरीकों से सक्रिय आतंकवादियों को सुविधा प्रदान की है।”

गौर करने वाली बात यह है कि कुलगाम के डीएम ने हिरासत के आधार पर पुलिस डॉजियर को दोबारा मंगाया और इसमें “Subject” शब्द को “You” से बदल दिया। कुलगाम के डिप्टी कमिश्नर-सिनियर शोकाट ऐजाज़ ने ‘द संडे एक्सप्रेस’ को बताया कि उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं इस पर गौर करूंगा।”

पल्ला के परिवार ने कहा कि जिले अधिकारियों को उनके जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के बारे में सूचित किया गया है। डॉ राथर द्वारा 26 अक्टूबर, 2018 को जारी पत्र में कहा गया है कि पल्ला आरसीसी (क्षेत्रीय कैंसर केंद्र) संख्या 1602/1 (एमआरडी नंबर 002324 और 436314) के तहत न्यूक्लियर मेडिसिन एसकेआईएमएस के विभाग में पैपिलरी कैंसर के मामले में पंजीकृत है। रोगी को दैनिक आधार पर दवा और जांच की आवश्यकता है।”

पल्ला के पिता मोहम्मद अयूब ने कहा कि जब उनके बेटे को 6 अगस्त की रात को उठाया गया तब उसे दवा लेने की अनुमति नहीं दी गई। अयूब के मुताबिक, “15 अगस्त को मैं उससे (परेवज पल्ला) मिलने बरेली गया था, लेकिन अधिकारियों ने मुझे बताया कि उसे किसी भी बैठक की अनुमति नहीं देने के निर्देश हैं। जब मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे कम से कम उसकी दवाएं तो दे दें, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।”