जम्मू और कश्मीर के शोपियां में राज्य पुलिस के तीन पुलिसकर्मियों की अगवा कर हत्या कर दी गई। शुक्रवार (21 सितंबर) सुबह उनके पार्थिव शरीर बरामद किए गए। गुरुवार (20 सितंबर) रात तीनों को अगवा किया गया था। हालिया हटना से तीन हफ्ते पहले आतंकियों ने दक्षिणी कश्मीर से पुलिस वालों के परिजन को अपहरण कर रिहा किया था। शहीद हुए तीनों जवानों की शिनाख्त कुलवंत सिंह, निसार अमहद और फिरदौर अमहद के रूप में हुई है।
पुलिसकर्मियों की हत्या से इलाके में दहशत का माहौल है। टीवी रिपर्ट्स के अनुसार, पूरे घटनाक्रम के बीच इरशाद बाबा नाम के कॉन्सटेबल ने कहा कि वह इस्तीफा देगा। पुलिस के मुताबिक, आतंकी कापरान गांव में चार पुलिस वालों के घर में जा घुसे थे। उन्होंने वहीं से पुलिसकर्मियों को अगवा किया था। हालांकि, चार में से एक को गांव वालों की मदद से छुड़ा लिया गया था।
पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि आतंकियों ने कई पुलिसवालों को इस्तीफा देने के लिए धमकाया था। तीन जवानों की हत्या पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने कहा, “पुलिसकर्मियों और उनके परिजन के लगातार अगवा होने की घटनाओं से स्पष्ट है कि केंद्र की बाहुबल की नीति यहां काम नहीं कर रही है।”
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट्स में बताया गया, “आतंकी इन दिनों काफी दवाब में है, इसलिए वे कुछ बड़ा नहीं कर पा रहे हैं। धरना प्रदर्शन की राजनीति और पत्थरबाजी में कमी आई है। ऐसे वे पुलिसवालों के घरों को निशाना बना कर अपनी हताशा निकाल रहे हैं।”
उधर, बंदीपोरा मुठभेड़ में दो आतंकी मार गिराए गए हैं। फिलहाल ऑपरेशन जारी है। गुरुवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच यहां पर सुल्मार इलाके में मुठभेड़ शुरू हुई थी।
किसने दी पुलिसकर्मियों को इस्तीफे की धमकी?: आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन ने पुलिस वालों को इस्तीफा देने या फिर जान से मारे जाने की चेतावनी दी थी। घाटी में इस बाबत कुछ जगहों पर पोस्टर भी चस्पाए गए थे, जबकि सोशल मीडिया पर इस मसले से जुड़े वीडियो भी जारी किए गए थे। पोस्टर व वीडियो के जरिए कहा गया था- चार दिनों में इस्तीफा दें, अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।