जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक वरिष्ठ नेता ने मोदी सरकार को पूरे देश में विवादित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) को लागू करने की चुनौती दी है। जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि इस कवायद से यह पता लग जाएगा कि देश में कितने घुसपैठिए हैं।
मदनी ने कहा कि क्या होगा यदि सरकार पूरे देश में एनआरसी को लागू करने का फैसला करती है? उन्होंने कहा कि यदि ऐसा कदम उठाया जाता है उन्हें इससे कोई तकलीफ नहीं होगी। इससे तो देश में ऐसे ‘वास्तविक नागरिकों’ की पहचान हो जाएगी जिन्हें घुसपैठिए के रूप में देखा जा रहा है।
मदनी ने कहा, ‘मेरा जी ये चाहता है कि मैं डिमांड करूं की सारे मुल्क में करलो, पता चल जाएगा कि घुसपैठिए कितने हैं। जो असली हैं उनके ऊपर भी दाग लगाया जाता है तो पता चल जाएगा। मुझे कोई दिक्कत नहीं।’ मदनी ने हाल ही में मुस्लिम समुदाय से राष्ट्रीय कर्तव्य के रूप में वोट लिस्ट में अपना नाम सुधार करवाने और शामिल करवाने की अपील की थी।
जमीयत के नेता ने यह बात असम में एनआरसी के प्रकाशित होने के बाद 19 लाख लोगों के इस सूची से बाहर होने के संदर्भ में कही। इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी। यह मुलाकात संघ के दिल्ली स्थित झंडेवाला कार्यालय में हुई थी।
बैठक के बारे में विस्तृत जानकारी तो सामने नहीं आई थी लेकिन दोनों नेताओं ने देश के मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए देश में हिंदू-मुस्लिम के आपसी भाईचारे को लेकर काम करने पर जोर दिया था। बैठक के बाद जमीयत और संघ के बीच नियमित संवाद से जुड़े समन्वय की जिम्मेदारी संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल को सौंपी गई थी।
बताया जा रहा था कि बैठक में दोनों समुदाय के बीच शांति और आपसी भाईचारे की हिमायत की गई। इसके बाद मदनी ने बाहर निकलने के बाद दोनों के साथ मिलकर काम करने की बात कही थी। इससे पहले पिछेल साल संघ प्रमुख मोहन भागवत दिल्ली के विज्ञान भवन में मुस्लिम समुदाय को संघ के करीब आने का आह्वान कर चुके थे।

