पिछले कुछ दिनों से जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के बयानों को लेकर घमासान मचा हुआ है। मदनी ने भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि अदालतें सरकारी दबाव में काम कर रही हैं। इसके अलावा उन्होंने ‘जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा’ का बयान भी दिया था।
बयानों पर विवाद होने के बाद अब मदनी ने अपने बयानों पर सफाई दी है।
ANI के साथ इंटरव्यू में मदनी ने कहा, ‘आप मुझ पर यह कहने का आरोप लगा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट गलत है… मैं कोई अकेला व्यक्ति नहीं हूं, मैं एक ऐसे संगठन से जुड़ा हूं जो एक खास समुदाय से जुड़ा है। अगर मैं अपने समुदाय की भावनाओं को देश को नहीं बताऊंगा, तो यह बेईमानी होगी… संविधान की अवधारणा बहुसंख्यकवाद के खिलाफ है…।’
मदनी से जब मुसलमानों में असुरक्षा की भावना को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘असुरक्षा को समझने के लिए आपको मुसलमान होना पड़ेगा इस पर आने के लिए… हमें एक ऐसी जगह पर खड़ा कर दिया गया है, जहां हमें लगता है कि हमें दीवार से लगा दिया गया है।’
जमीयत के अध्यक्ष ने कहा, ‘देश के हालात ऐसे हैं… मैं एक चेतावनी देना चाहता हूं… कई दिनों से, हम अपनी चिंताओं को अपने समुदाय और देश के सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हमारी चिंताओं को हमारे विश्वासघात के रूप में साबित किया जाता है, तो यह बहुत गलत होगा…।”
मदनी ने इंटरव्यू में कहा, ‘मुझे पता है कि मैं गलत नहीं हूं… यह संभव है कि मेरे बयानों की गलत व्याख्या की जा रही हो… हर कोई सहमत नहीं हो सकता; कुछ असहमत भी हो सकते हैं…।’
देश भर में कई जगहों पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) सहित दक्षिणपंथी संगठनों ने मौलाना महमूद मदनी के पुतले फूंके हैं।
