जामिया यूनिवर्सिटी की वीसी नजमा अख्तर ने कहा है कि हमारे विश्वविद्यालय को टारगेट न करें और न ही बदनाम करें। पूरे देश में नागरिकता कानून का विरोध हो रहा है, लेकिन नाम केवल जामिया का आ रहा है। क्या जैसे हमारे यहां पुलिस घुस गई, वैसे हर विश्वविद्यालय में घुस जाएगी? मंत्री जी 15 दिसंबर की घटना की उच्चस्तरीय जांच कराएं। पुस्तकालय में पुलिस घुसी और इसमें 200 छात्र जख्मी हुए। इनमें से कई बुरी तरह जख्मी हुए।
अख्तर ने 16 दिसंबर की दोपहर मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 15 दिसंबर की घटना के बाद हम सबसे पहले बच्चों की सुरक्षा की चिंता कर रहे थे। रात भर हमारे अफसर काम करते रहे। हमारे पास बयान जारी करने का समय नहीं था। बता दें कि 15 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस घुस गई थी और पुलिस की कार्रवाई व भगदड़ में कई बच्चे जख्मी हुए थे। यह कार्रवाई नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शनों के चलते की गई।
प्रदर्शनकारियों ने कई बसों में आग लगा दी थी। जामिया प्रशासन का कहना है कि हिंसा और आगजनी करने वाले विश्वविद्यालय के छात्र नहीं थे। छात्रों के बीच असामाजिक तत्व घुस गए थे और पुलिस उन्हें पहचान नहीं सकी और सबके साथ एक जैसा सलूक किया। वीसी ने कहा कि वह मानव संसाधन विभाग और मंत्री से अलग से बात कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उनका विश्वविद्यालय शांतिप्रिय है। इसी मकसद से यूनिवर्सिटी में सर्दियों की छुट्टियां पहले घोषित कर दी गई थींं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब सवाल पूछा गया कि 15 दिसंबर को हजारों लोग सड़कों पर थे और उनमें से कई जामिया परिसर में घुस गए थे। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना था कि भीड़ को रोकना पुलिस का काम है, हमारा नहीं।


