जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कैंपस के पुलिसिया कार्रवाई के एक दिन बाद भी छात्रों में डर का माहौल रहा। बता दें कि इस हिंसा में काफी छात्र घायल हो गए थे। वहीं, सैकड़ों अपना सामान लेकर घर की ओर रवाना हो गए। छात्रों ने बताया कि शुक्रवार (13 दिसंबर) को छात्रों-स्थानीय लोगों व पुलिस के बीच झड़प हुई थी। उसके बाद यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने 16 दिसंबर से 5 जनवरी तक छुट्टियां घोषित कर दीं। इसके बावजूद इंटर्नशिप, रिसर्च वर्क और नागरिकता कानून का विरोध करने जैसे तमाम कारणों से काफी छात्र हॉस्टल में ही रुक गए। हालांकि, रविवार शाम हुई घटनाओं के बाद छात्रों ने अपना सामान पैक कर लिया। उन्होंने कहा कि वे हॉस्टल में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। इस वजह से वे घर जा रहे हैं। जामिया के छात्रों ने बताया कि हिंसा के बाद अगली पूरी रात उन्होंने डर के माहौल में गुजारी। उस दौरान परिजन हालात को लेकर चिंता जताते रहे और पूरी रात फोन पर बात करते रहे।
मुंबई से मास कम्युनिकेशन का कोर्स करने जामिया आई लैला खान ने बताया, ‘‘इससे पहले मेरे पैरेंट्स ने कभी इतने ज्यादा कॉल्स नहीं किए थे। वे लगातार घर लौटने के लिए कॉल कर रहे थे। हम बहुत ज्यादा डरे हुए थे और इस वजह से पूरी रात नहीं सो सके। पिछली रात जो कुछ भी हुआ, उसके बाद यहां ज्यादा देर तक रुकने का कोई औचित्य नहीं बनता।’’
Hindi News Today, 17 December 2019 LIVE Updates: बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें
अलीगढ़ से डेंटल सर्जरी में ग्रैजुएशन करने आई अक्शी ने बताया, ‘‘रात के वक्त हॉस्टल में अफवाहें उड़ती रहीं। हमने सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर रखे थे, क्योंकि हमें डर था कि रात 2-3 बजे पुलिस दबिश दे सकती है। कैंपस के बाहर रहने वाले दोस्त बार-बार फोन करके अपने पास आने के लिए कह रहे थे, लेकिन बाहर निकलना काफी असुरक्षित था।’’ दूसरे छात्रों की तरह अक्शी भी तुरंत अपने घर जाना चाहती थीं, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर वह अपनी सहेली के घर चली गई।
बीएससी फिजिक्स के छात्र उबैद मजहर भी हॉस्टल छोड़कर अपने दोस्तों के पास चले गए हैं। उन्होंने बताया कि हॉस्टल में करीब 10-15 कश्मीरी छात्र थे, लेकिन टिकट नहीं होने के कारण हम घर नहीं जा सके। अभी हमने कोई प्लान नहीं बनाया है। हम यह तय करने की कोशिश में हैं कि घर कैसे जा सकते हैं?
कई छात्रों ने कैंपस के बाहर अपने दोस्तों के फ्लैट्स में रात गुजारी। इनमें लॉ स्टूडेंट 22 वर्षीय मोहम्मद ओस भी शामिल थे। वह सोमवार सुबह हॉस्टल पहुंचे और अपनी किताबें व बैग समेटा। उन्होंने बताया कि कुछ लोग टिकट बुक नहीं कर पाए हैं। हालांकि, कुछ लोगों के पास अगले दिन का टिकट था, लेकिन उन्होंने भी हॉस्टल में इंतजार नहीं किया, क्योंकि वे वहां असुरक्षित महसूस कर रहे थे।