बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से अप्रत्यक्ष हमला किए जाने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली अब चाहते हैं कि पार्टी उन पर कार्रवाई करे। स्वामी ने पहले चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर और बाद में आर्थिक मामलों के सचिव को निशाने पर लिया। अपने मंत्रालय से जुड़े अफसरों पर हमला होने के बाद जेटली ने भी जवाब दिया। हालांकि, पूरे घटनाक्रम के बाद यही कयास लगाए जाने लगे कि स्वामी ने जेटली को निशाना बनाने के लिए इन अफसरों को अपने निशाने पर लिया।
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माना जा रहा है कि जेटली जब सोमवार को चीन से लौटेंगे तो कोशिशें तेज करेंगे कि स्वामी उन्हें या उनके मंत्रालय के लोगों पर हमले न करें। जेटली के एक करीबी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘स्वामी की ट्वीट्स के जरिए दी गई धमकियों को यह कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि यह उनकी आजाद सोच है। स्वामी पार्टी के सदस्य भी हैं।’ बता दें कि स्वामी के अफसरों पर हमला बोलने के बाद जब जेटली ने उनका बचाव किया तो स्वामी ने मीडियावालों से कहा था, ‘जेटलीजी क्या बोले, क्या नहीं बोले, इससे मुझे क्या लेना देना। मुझे जब जरूरत होती है तो मैं पीएम और पार्टी अध्यक्ष से बात करता हूं।’ बीजेपी ने इस बयान से खुद को अलग कर दिया, लेकिन स्वामी ने फिर शनिवार को सफाई दी कि उनके बयान के निशाने पर जेटली नहीं थे। स्वामी के मुताबिक, मीडियावालों ने जेटली के नाम को उछाला।
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हालांकि, जेटली पर स्वामी के निशाने पर पार्टी बंट गई है। पार्टी के एक धड़े को लगता है कि स्वामी दबने वाले लोगों में से नहीं हैं और वह अपनी मर्जी के मालिक हैं। बीजेपी प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि पार्टी स्वामी के बयानों से सहमत नहीं हैं। हालांकि, पार्टी के एक बड़े धड़े ने स्वामी पर हमला नहीं किया और न ही जेटली का जोरदार बचाव किया।
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जेटली से सहानुभूति रखने वाला धड़ा मानता है कि स्वामी की राजनीति ‘जहरीली’ है। इस धड़े का कहना है, ‘जैसा कि 2015 में हुआ, जब केजरीवाल ने डीडीसीए में भ्रष्टाचार को लेकर जेटली पर निशाना साधा तो उन्हें फिर से अपनी लड़ाई छोड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया गया।’ इस धड़े ने इस ओर इशारा किया कि न तो पीएम और न ही बीजेपी अध्यक्ष ने स्वामी के जेटली पर निशाना साधने की आलोचना की।
वहीं, बीजेपी में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो यह मानते हैं कि स्वामी जेटली से निपटने में एक ‘कारगर उपकरण’ साबित हो सकते हैं। वहीं, कुछ अन्य का मानना है कि दोनों का टकराव पार्टी के हित में नहीं है। हालांकि, दोनों ने एक दूसरे से एक प्रकार की सुरक्षित दूरी बनाकर रखी है। दोनों ने चुप्पी साध रखी है मानों वे आलाकमान से किसी तरह के इशारे का इंतजार कर रहे हों। सरकार में मौजूद एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि पीएमओ ने अभी स्वामी के टि्वटर हमलों को लेकर कोई चर्चा नहीं की है।