अदालती आदेश को दरकिनार कर पाकिस्तान के लाहौर में सदियों पुराने जैन मंदिर के अवशेषों को ढहाए जाने पर भारत के जैन समुदाय ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही भारत सरकार से गुहार की है कि वह पाकिस्तान के सामने इस मामले को उठाते हुए ध्वस्त जैन मंदिर की मूर्ति का पता लगाने के लिये उचित कदम उठाए।

‘जैन युवा संगठन’ के संयोजक अनुरोध ललित जैन ने रविवार कहा, ‘हमने भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ईमेल कर अनुरोध किया है कि वह भारत स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के समन्वय से पता लगाएं कि लाहौर के अनारकली बाजार के पास ध्वस्त जैन मंदिर की मूर्ति सुरक्षित है या नहीं। हमारे लिये यह मूर्ति धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व की है।’

जैन ने कहा कि अगर यह मूर्ति सुरक्षित है तो इसे भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए ताकि किसी भारतीय मंदिर में इसकी प्राण-प्रतिष्ठा की जा सके। जैन समुदाय के संगठन के पदाधिकारी ने कहा, ‘लाहौर में जिस जैन मंदिर के अवशेष ढहाए गए, वह करीब 1,000 साल पुराना था। हमें अफसोस है कि पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने अहिंसा और सहिष्णुता का संदेश देने वाले जैन धर्म के इस प्राचीन स्थल को अदालती आदेश का उल्लंघन करते हुए निशाना बनाया। बदनीयती से भरा यह कदम एक मेट्रो लाइन का रास्ता साफ करने के नाम पर उठाया गया।’

लाहौर हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक महत्व की इमारतों के 200 फुट के दायरे में मेट्रो लाइन के सभी काम रोकने का आदेश दिया था। लेकिन पाकिस्तान स्थित पंजाब की शाहबाज शरीफ सरकार ने इस अदालती आदेश का उल्लंघन करते हुए जैन मंदिर के अवशेष पिछले हफ्ते ढहा दिए।
1992 में भारत में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद लाहौर में उग्र जनसमूह ने इस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके बाद से इस मंदिर के परिसर का दुकानों और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।