Vice-President Jagdeep Dhankhar Controversy: विपक्ष के नेताओं से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों और आम लोगों के मन में यही सवाल बार-बार आ रहा है कि आखिर जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा क्यों दिया? क्योंकि संसद के मानसून सत्र के पहले दिन का कामकाज सामान्य ढंग से चल रहा था, दिन भर सारी कार्यवाही भी सामान्य ढंग से हुई लेकिन शाम होते-होते अचानक ऐसा क्या हो गया कि जगदीप धनखड़ ने इतना बड़ा फैसला ले लिया?

विपक्ष का कहना है कि जगदीप धनखड़ का इस्तीफा यूं ही नहीं हुआ है और इसके पीछे कोई बहुत बड़ा खेल है। अब इसे लेकर एक बेहद अहम जानकारी सामने आई है। जानकारी यह है कि जगदीप धनखड़ ने जब जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग नोटिस को स्वीकार किया तो इससे सरकार नाराज हो गई। बताना होगा कि जस्टिस वर्मा के दिल्ली आवास से जले हुए नोटों की नकदी के ढेर मिले थे और इसके बाद सरकार उनके खिलाफ महाभियोग नोटिस लाने की तैयारी कर रही थी।

सरकार के अलावा विपक्ष भी इस मामले में सक्रिय था और वह भी जस्टिस वर्मा के खिलाफ नोटिस लाने की तैयारी कर रहा था। सीधे शब्दों में इस मामले को समझें तो जस्टिस वर्मा के घर से नकदी मिलने को लेकर दो अलग-अलग प्रस्ताव तैयार किए जा रहे थे।

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सरकार ने पहले ही कर दिया था साफ

एक प्रस्ताव सरकार की ओर से और दूसरा विपक्ष की ओर से। लोकसभा में सरकार ने विपक्षी सांसदों सहित 145 सांसदों के हस्ताक्षर जुटा लिए थे जबकि लोकसभा में सिर्फ 100 सांसदों के दस्तखत की जरूरत थी। सरकार ने सत्र शुरू होने से पहले ही साफ कर दिया था कि वह जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएगी।

अब बढ़िए, इस दिलचस्प कहानी में आगे की बात। दूसरी ओर विपक्ष ना सिर्फ जस्टिस वर्मा बल्कि जस्टिस शेखर यादव का मुद्दा भी उठाना चाहता था। जस्टिस शेखर यादव पर विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में विवादित टिप्पणी करने के चलते उन्हें हटाने की मांग की गई थी।

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Business Advisory Committee (BAC) की बैठक

दोपहर करीब 1 बजे धनखड़ ने Business Advisory Committee (BAC) की बैठक की। बैठक बेनतीजा रही और विपक्ष ने सरकार के सुझावों पर फैसला लेने के लिए और समय की मांग की। धनखड़ ने कहा कि BAC की एक और बैठक शाम 4.30 बजे होगी। दिन में तीन बजे विपक्ष ने जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए धनखड़ को नोटिस सौंप दिया और इसके बाद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।

एनडीए सांसदों से लिए गए हस्ताक्षर

द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि केंद्र सरकार उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के द्वारा इस संबंध में विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने से नाराज थी क्योंकि सरकार को ऐसा लगा कि विपक्ष इस मामले में उससे आगे निकल गया है और इसके बाद जल्दी-जल्दी एनडीए सांसदों के हस्ताक्षर जुटाने का काम किया गया।

बीजेपी के कई सांसदों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनसे दस्तखत जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने के संबंध में लिए गए थे। दो सांसदों ने बताया कि उनसे बिल्कुल सफेद कागज पर हस्ताक्षर लिए गए और यह साफ नहीं था कि ऐसा क्यों किया गया? मोदी कैबिनेट के तीन मंत्रियों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह दस्तखत जस्टिस वर्मा के खिलाफ नोटिस लाने के संबंध में लिए गए थे। लेकिन तब तक बात बिगड़ चुकी थी।

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जगदीप धनखड़ विपक्ष का नोटिस स्वीकार कर चुके थे और उन्होंने राज्यसभा में इस बात का ऐलान किया कि उन्हें नोटिस मिल गया है। धनखड़ ने कहा कि न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के अनुसार, “जब संसद के दोनों सदनों में एक ही दिन प्रस्ताव की सूचनाएं प्रस्तुत की जाती हैं तो आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति द्वारा मिलकर एक समिति गठित की जाती है।” इसके बाद सरकार परेशान हो गई और उसकी सारी कसरत एक तरह से धरी की धरी रह गई।

नोटिस का भी इंतजार नहीं किया…

बीजेपी के कई सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि धनखड़ की ओर से विपक्ष के नोटिस को स्वीकार करना एक तरह से अप्रत्याशित और चौंकाने वाला काम था। सरकार के एक टॉप सोर्स ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “उन्होंने इस मामले में हमारे नोटिस का भी इंतजार नहीं किया।”

एक और अहम घटना यह हुई थी कि धनखड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव को हटाने के विपक्ष के नोटिस का भी जिक्र किया और यह बात भी सरकार को पसंद नहीं आई क्योंकि सरकार इस मामले में बहुत ज्यादा सख्त नहीं थी।

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BAC की बैठक में नहीं आया सरकार का कोई प्रतिनिधि

इसके बाद धनखड़ ने पिछले साल फरवरी में राज्यसभा में नोटों की गड्डी मिलने का मामला भी उठाया। बताना होगा कि यह गड्डी सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट से मिली थी। धनखड़ ने कहा कि इस मामले की जांच की जानी चाहिए। इसके बाद धनखड़ ने शाम 4:30 बजे (Business Advisory Committee) बैठक फिर से बुलाई लेकिन सरकार का कोई भी प्रतिनिधि उसमें शामिल नहीं हुआ। ना तो जेपी नड्डा, ना किरेन रिजिजू और ना ही अर्जुन राम मेघवाल।

मंगलवार को संसद भवन में पत्रकारों से बात करते हुए नड्डा ने कहा कि रिजिजू और उन्होंने धनखड़ को पहले ही सूचित कर दिया था कि वे बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे क्योंकि उनका कुछ और कार्यक्रम है।

कांग्रेस का कहना है कि धनखड़ ने इस्तीफा उनका अपमान किए जाने की वजह से दिया है। इसके बाद रात 9.25 बजे धनखड़ ने राष्ट्रपति को इस्तीफा भेज दिया और इसमें स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया।

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