Sujit Bisoyi

ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में कई गतिविधियां संदिग्ध चल रही हैं और प्रशासन पर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। अभी तक रत्न भंडार की चाबी गायब का मुद्दा ठंडा भी नहीं पड़ा था, खबर है कि मंदिर की दो अहम फाइलें भी गायब हो गई हैं। कहां गईं, किसी को पता नहीं और तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। इस समय विपक्ष इस मुद्दे को लगातार उठा रहा है, इसी के जरिए पटनायक सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश है।

कहां गई रत्न भंडार की चाबी?

सबसे ज्यादा विवाद इस बात को लेकर है कि सरकार ने रत्न भंडार मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। 324 पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट भी पेश की गई, लेकिन सरकार ने आज तक सार्वजनिक नहीं किया। ऐसे में चाबी का क्या हुआ, वो अभी कहां है, कब तक रत्न भंडार खुल पाएगा, किसी को कोई अंदाजा नहीं। इस असमंजस की स्थिति ने ही विपक्ष को सरकार से ज्यादा खफा कर दिया है और नीयत पर ही सवाल उठने लगे हैं। अभी के लिए सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप बराल ने एक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है, मांग की गई है कि इस मामले में राज्य सरकार अपना रुख स्पष्ट करे।

कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो 10 जुलाई तक अपना जवाब दाखिल करे, उसके बाद ही आगे की सुनवाई की जाएगी। अब क्या सरकार जांच की उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करती है या नहीं, इसे लेकर कुछ नहीं बताया गया है। इस विवाद पर बीजेपी नेता पीतांबर आचार्य कहते हैं कि ASI कोर्ट में बता चुकी है कि इनर चेंबर में मरम्मत की जरूरत है तो राज्य सरकार उसे खोलती क्यों नहीं है। अब तो लोग भी पूछने लगे हैं कि रत्न भंडार में जो कीमती गहने रखे हैं, वो सुरक्षित हैं भी या नहीं।

पांच साल पहले हुआ था खोलने का प्रयास

कांग्रेस नेता गनेश्वर बेहरा ने भी सवाल उठाते हुए कहा है कि इस समय राज्य सरकार जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रही है, ऐसे में उस पर सवाल उठना लाजिमी है। इस बात पर भी जोर दिया गया है कि मरम्मत के काम के लिए रत्न भंडार का तुरंत खुलना जरूरी है। अब जानकारी के लिए बता दें कि 4 अप्रैल, 2018 को रत्न भंडार को खोलने की कोशिश की गई थी। ASI की एक पूरी टीम मौके पर गई थी, लेकिन तब क्योंकि चाबी ही नहीं मिली, ऐसे में रत्न भंडार को नहीं खोला जा सका। उसके बाद से ये बंद ही चल रहा है और इस पर जमकर विवाद देखने को मिल रहा है।